अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए SEBI ने और वक्त मांगा, जानें कहां पहुंची जांच
अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च में लगाए गए आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) कर रहा है। अब SEBI ने जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगी है। SEBI ने जांच की समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है। बता दें कि SEBI को 2 महीने में जांच पूरी करनी थी और यह समयसीया 2 मई को खत्म हो रही है। SEBI ने इसे 4 महीने और बढ़ाने की मांग की है।
मामला जटिल, समय लगेगा- SEBI
SEBI ने कहा कि संदिग्ध लेनदेन से संबंधित शुरुआती जांच में सामने आया है कि मामला बेहद जटिल है और इसमें कई पेच हैं। मामले में कई लेनदेन है, जिसकी जांच के लिए अलग-अलग स्त्रोतों से पुष्टि के लिए विस्तृत विश्लेषण की जरूरत है। SEBI ने कहा कि मामले की जटिलता और धोखाधड़ी की प्रकृति और प्रवृत्ति को देखते हुए जांच में लगभग 15 महीने लगेंगे, लेकिन वह इसे 6 महीने में पूरी कर लेगा।
जांच को लेकर SEBI ने ये बात भी कही
SEBI ने कोर्ट को बताया कि उसने विशेषज्ञ समिति की दो बैठकों में भाग भी लिया है। SEBI ने कहा कि ऐसे मामले जहां प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए गए हैं, उनकी जांच के लिए 6 महीने लगेंगे। ऐसे मामले, जिनमें प्रथम दृष्टया उल्लंघन नहीं पाए गए हैं, वहां निर्णायक निष्कर्ष तक पहुंचे के लिए 6 महीने लगेंगे वहीं, ऐसे मामले जिनमें आगे जांच की जरूरत है, उनमें जरूरी डाटा की पड़ताल के बाद निष्कर्ष पर पहुंचने में समय लगेगा।
SEBI ने बताई जांच में समय लगने की वजह
SEBI ने कहा कि 12 कथित संदिग्ध लेनदेन पिछले 10 सालों में किए गए हैं। इसके लिए कंपनियों के वित्तीय विवरण, वार्षिक रिपोर्ट, बैलेंस शीट, बैंक विवरण, अनुबंध समेत तमाम दस्तावेजों की विस्तृत जांच शामिल होगी, जिसमें समय लगेगा। SEBI ने कोर्ट में बताया कि जांच के लिए कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बैंकों से भी विवरण लेना होगा। अंतरराष्ट्रीय बैंकों से विवरण लेने में अंतरराष्ट्रीय नियामकों की मंजूरी और मदद लेनी होगी, जो चुनौतीपूर्ण है।
6 सदस्यों की समिति कर रही है जांच
बता दें कि अडाणी समूह से जुड़े वित्तीय गड़बड़ी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को 6 सदस्यीय समिति का गठन किया था। पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में बनाई गई इस समिति में ओपी भट्ट, न्यायाधीश जेपी देवधर, बैंकर केवी कामथ, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन निलकेनी और शेखर सुंदरेशन शामिल हैं। समिति को 2 महीने के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
क्या है मामला?
अमेरिका कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप पर धोखाधड़ी और शेयर की कीमत बढ़ाकर बताने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट जारी होने के बाद अडाणी ग्रुप को भारी नुकसान हुआ और कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट आई। अडाणी समूह ने रिपोर्ट को निराधार बताते हुए इसे देश, इसके संस्थानों और भारत की विकासगाथा पर सुनियोजित हमला बताया था।