
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगी सरकार, 100 सांसदों ने किए हस्ताक्षर- किरेन रिजिजू
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सोमवार (21 जुलाई) से शुरू हो रहे संसद के मानसून संत्र में घर में बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। 100 से ज्यादा सांसदों ने पहले ही इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद यह अहम जानकारी दी है। बता दें कि जस्टिस वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
बयान
रिजिजू ने क्या दिया बयान?
रिजिजू ने कहा, "सरकार इसी सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगी। 100 से अधिक सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं।" हालांकि, उन्होंने प्रस्ताव लाने के समय के बारे में जानकारी नहीं दी और कहा कि अभी समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है। सरकार बाद में तय करके बताएगी। बता दें कि इससे पहले रिजिजू ने INDIA गठबंधन से महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की थी।
कारण
सरकार क्यों ला रही है माभियोग प्रस्ताव?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंपी थी और वर्मा दोषी ठहराते हुए इस्तीफे का विकल्प दिया था। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। ऐसे में सरकार ने महाभियोग का निर्णय किया है।
याचिका
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
इधर, जस्टिस वर्मा ने मामले की जांच करने वाली समिति के निष्कर्षों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया कि जांच समिति की कार्यवाही ने एक व्यक्ति और एक संवैधानिक पदाधिकारी, दोनों के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। ऐसे में समिति की सिफारिश को रद्द करने के साथ पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा की सिफारिश को भी रद्द किया जाना चाहिए।
प्रकरण
क्या है नकदी मिलने का मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय वर्मा शहर में नहीं थे। उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।