क्या आप जानते हैं? निर्देशक से तंग आकर 'कपूर एंड सन्स' छोड़ने वाले थे ऋषि कपूर
फिल्म 'कपूर एंड सन्स' अगर आपने देखी होगी तो इसका हिस्सा रह चुके दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर भी आपको याद ही होंगे। फिल्म दर्शकों की कसौटी पर खरी उतरी थी और ऋषि के अभिनय को बेहद सराहा गया था। फिल्म के निर्देशन की कमान शकुन बत्रा ने संभाली थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दिन भी ऐसा नहीं होता था, जब ऋषि की सेट पर शकुन से लड़ाई ना होती हो। आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं।
शकुन के काम करने के तरीके से थी ऋषि को दिक्कत
DNA से साथ इंटरव्यू में ऋषि ने बताया था, "शकुन के साथ 'कपूर एंड सन्स' में काम करने का अनुभव मजेदार नहीं रहा। मैंने 30-32 दिन फिल्म को दिए और ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब हमारी झड़प ना हुई हो।" उन्होंने कहा, "हमारी लड़ाई की वजह थी कि मुझे उनका काम करने का तरीका पसंद नहीं था, जो मेरे रोल के लिए था। बात इतनी बढ़ गई थी कि मैंने दो बार फिल्म छोड़ने का मन बना लिया था।"
एक ही शॉट को अलग-अलग एंगल से नहीं करना चाहते थे ऋषि
ऋषि ने कहा, "शकुन मेरे हर एक शॉट को कवर करना चाहता था, अलग-अलग एंगल्स के साथ, लेकिन मैं बिना मेथड के एक्टिंग करता हूं। मैं हर बार एक जैसे एक्सप्रेशन नहीं देता।" ऋषि ने कहा, "मैंने करण जौहर से कहा था कि मैं फिल्म छोड़ रहा हूं। मैं शकुन के साथ काम नहीं कर सकता। 13 घंटे तक मुझे मेकअप लगाकर रखना होता है। कॉन्टेक्ट लेंस लगाने होते हैं। मैं एक शॉट इतने एंगल्स के साथ नहीं कर सकता।"
शकुन से कोई गिला-शिकवा नहीं
ऋषि ने कहा, "सबसे सीनियर एक्टर होने के नाते सेट पर शकुन से बहस के समय सब चुप हो जाते थे, लेकिन बाद में सब अच्छा रहा। मैं बहुत खुश हूं अपने काम और इस फिल्म से। शकुन से मुझे कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि अब सब ठीक हो गया है।" उन्होंने कहा, "शकुन मेरी बॉडी लेंग्वेज से लेकर मेरे डायलॉग्स का काफी ध्यान रखता था। मुझे अपनी वॉकिंग और टॉकिंग दोनों पर साथ ध्यान देना होता था।"
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
फिल्म 'कपूर एंड सन्स' में एक्टिंग के मोर्चे पर सबसे ज्यादा तारीफ ऋषि की ही हुई थी। उन्होंने इसमें एक चुलबुले दादा अमरजीत कपूर की भूमिका निभाई थी और अपने जानदार अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था।
30 अप्रैल, 2020 को दुनिया को अलविदा कह गए थे ऋषि
ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल, 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनका निधन किसी सदमे से कम नहीं था। दो साल तक ऋषि कैंसर से लड़ते रहे। न्यूयॉर्क में इलाज कराने के बाद उनकी सेहत में सुधार था। वह वापस मुंबई लौट आए थे। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अगले दिन उनका निधन हो गया। लॉकडाउन के कारण उनके अंतिम संस्कार में कम लोग शरीक हुए थे।