विवेक ओबेरॉय ने साधा बॉलीवुड पर निशाना, बोले- टैलेंट से ज्यादा सरनेम की पूछ होती है

अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने अपने लंबे एक्टिंग करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। हालांकि, कई सफल फिल्मों में काम करने और अपने अच्छे अभिनय के बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में कभी स्टार का दर्जा नहीं मिला। एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें बॉलीवुड ने पूरी तरह से बायकॉट कर लिया। हालांकि, अभिनेता को किसी बात का मलाल नहीं है। हाल ही में विवेक ने इंडस्ट्री पर दो टूक अपने विचार रखे। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
हिन्दुस्तान टाइम्स से विवेक ने कहा, "मैं 20 सालों से बॉलीवुड में हूं। मुझे इंडस्ट्री से एक बड़ी शिकायत है कि हमने इसके लिए नर्सरी नहीं बनाई, जो युवा कलाकारों को निखारने का काम करती है।" उन्होंने कहा, "बॉलीवुड एक विशेष क्लब बनकर रह गया है, जहां सिर्फ यह मायने रखता है कि आपका सरनेम क्या है? आप किसे जानते हैं और किस लॉबी या किसके आगे सलाम ठोकते हैं? यहां प्रतिभा को उतनी तरजीह नहीं मिलती, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।"
विवेक ने कहा, "इंडस्ट्री चाहे कोई भी हो, उसे फलने-फूलने के लिए नए विचारों की जरूरत होती है। इंडस्ट्री ऐसी हो, जहां हर किसी का स्वागत हो। ऐसा ना हो कि यह एक स्पेशल क्लब है और यहां घुसने की अनुमति आपको तभी मिलेगी, जब आपका सरनेम कोई जानता हो या आपके संपर्क बढ़िया हों।" उन्होंने कहा, "OTT उसी नर्सरी की भूमिका निभा रहा है, जो नए-नए और प्रतिभाशाली चेहरों को उनका सपना साकार करने का मौका दे रहा है।"
विवेक ने कहा, "मैं नए टैलेंट को बढ़ावा देने की कोशिश करता हूं। मैं घिसे-पिटे खांचे पर नहीं चलता और नए कलाकारों का समर्थन करता हूं।" उन्होंने बताया, "जब मैंने शो 'इनसाइड एज' किया था तो मैंने निर्माताओं से अनुरोध किया था कि मेरे से पहले ऋचा चड्ढा का नाम रखें, फिर चाहे मुझे इंडस्ट्री में उनसे ज्यादा समय ही क्यों ना हुआ हो। मैं हर महिला कलाकार का सम्मान करता हूं। वैसे भी ऋचा चड्ढा एक बेहतरीन अदाकारा हैं।"
विवेक ने आगे कहा, "मैंने अपने अतीत में कई गलतियां की हैं और मैं उन्हें खुशी से स्वीकारता हूं। मुझे कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है। अगर गलती करके ठोकर ना लगती तो मुझे सही-गलत की परख नहीं होती।" उन्होंने कहा, "मैंने अब तक जितना भी सफर तय किया है, मैं उसके हर हिस्से को अपने पास संजोकर रखता हूं और दुखी होने के बजाय मैं अपनी गलतियों पर मुस्कुराता हूं।"
विवेक कहते हैं कि उन्हें स्टारडम का जरा भी लालच नहीं है और ना ही वह कभी इसके पीछे भागे हैं। विवेक का कहना है कि वह बस एक्टर बनना चाहते थे। उनकी नजर में किसी किरदार में उतरने की कला ही सबसे दिलचस्प है।
विवेक ने 2002 में फिल्म 'कंपनी' से बॉलीवुड में कदम रखा था। विवेक को 'साथिया', मस्ती, 'युवा', 'शूटआउट एट लोखंडवाला' जैसी फिल्मों में शानदार अभिनय के चलते काफी वाहवाही मिली थी। जल्द ही वह फिल्म 'इति: कैन यू सॉल्व योर ओन मर्डर' में नजर आएंगे।