'बैंडिट क्वीन' को 30 साल पूरे, निर्देशक शेखर कपूर बोले- शूटिंग के समय करता था उल्टियां
साल 1994 में भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों में से एक शेखर कपूर एक ऐसी फिल्म लेकर आए थे, जिसने सभी को चौंका दिया था। यह फिल्म और कोई नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली 'बैंडिट क्वीन' थी। आज (26 जनवरी) फिल्म को रिलीज हुए 30 साल हो गए हैं। इस खास मौके पर एक इंटरव्यू में शेखर ने खुलकर बताया कि उनके लिए फिल्म और इसके रेप के दृश्य को शूट करना कितना चुनौतीपूर्ण था। चलिए जानते हैं।
सबसे चुनौतीपूर्ण फिल्म थी 'बैंडिट क्वीन'- शेखर
शेखर ने 'बैंडिट क्वीन' के बारे में याद करते हुए कहा कि यह उनके करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण फिल्मों में से एक थी, क्योंकि उन्होंने इसे बहुत ज्यादा दिल से लिया था। इस वजह से वह खुद से गुस्सा थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि वह एक संवेदनशील इंसान हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी फिल्मों के जरिए समाज में मुद्दों को नहीं उठाया था। इसके जरिए उन्होंने उन मुद्दों का सामना किय, जिनपर उनका ध्यान कभी नहीं गया था।
समाज के तरीके के कारण हुई फूलन देवी के साथ घटना
शेखर कहते हैं, "मैंने फूलन देवी के बारे में सुना था। लगभग हर दिन अखबारों में दूसरे या तीसरे पन्ने पर उसके बारे में लिखा जाता था। जब मैंने फिल्म करने का फैसला किया तो मैंने उसकी कहानी के बारे में जांच-पड़ताल की और तब मुझे एहसास हुआ कि जो उसके साथ हुआ वह हमारे समाज के पालन के रवैये से हुआ।" फिल्मों में शर्मीली लड़कियों को देखने वाले शेखर ने इससे अलग एक लड़की को देखा और जाना था।
लोग शेखर से हो गए थे नाराज
शेखर को अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था। वह बोले, "मैं सोच रहा था कि जब मैं इस मुद्दे को नहीं उठा सकता तो मैं खुद को संवेदनशील कैसे मानूं। यह गुस्से वाली फिल्म थी और मेरी फिल्मों के खिलाफ थी, क्योंकि मैंने ऐसी फिल्में नहीं बनाई थीं।" फिल्म रिलीज हुई तो लोग नाराज थे। लोग शेखर से पूछते थे, 'सर, आपको क्या हुआ? आप बहुत अच्छे फिल्म निर्माता हैं, जिन्होंने 'मिस्टर इंडिया' और 'मासूम' बनाईं। ये क्या कर दिया?"
गैंग रेप वाला दृश्य था सबसे बड़ी चुनौती
शेखर ने कहा कि अपने गुस्से से निपटने के अलावा 'बैंडिट क्वीन' के लिए गैंग रेप सीन शूट करना बड़ी चुनौती थी। वह बोले, "मुझे उस लड़की की मानसिकता को समझना था, जिसके साथ रेप हुआ था और रेप करने वाले की मानसिकता को भी पूरी तरह से समझना था।" वह बोले, "पूरी कास्ट को मैंने बताया था कि हम खास कहानी नहीं बता रहे। फिल्म का हर किरदार समाज का प्रतिनिधित्व करता है। हम समाज को दिख रहे हैं।"
शूटिंग के दौरान उल्टियां करते थे शेखर
शेखर ने बताया कि गैंग रेप वाले दृश्य को शूट करना कितना मुश्किल था। उन्होंने दृश्य की कल्पना फूलन के दृष्टिकोण से की थी और इसमें हर किसी को मदद करनी थी। शेखर के अनुसार उन्होंने 2-3 दिन तक खुद को कमरे में बंद कर यह समझने की कोशिश की थी कि उस सीन को कैसे शूट किया जाए। वह शूटिंग के दौरान लगातार बाहर जाकर उल्टियां करते और कहते कि वह और नहीं कर सकते, लेकिन करनी पड़ती थी।
अगर 2024 में बनती 'बैंडिट क्वीन' तो ये होता बदलाव
जब शेखर से यह पूछा गया कि अगर वह 'बैंडिट क्वीन' 2024 में बनाते तो यह कितनी अलग होती। इसके जवाब में शेखर ने तुरंत कहा कि वह इसे छोटा बनाते। बता दें, यह फिल्म महिला डकैत फूलन देवी की कहानी पर आधारित है। फिल्म में वह सबकुछ बड़ी ही बारीकी से दिखाया गया है, जो फूलन के साथ हुआ था। फूलन के साथ हैवानियत की हदें कुछ इस तरह पार की गई थीं कि वह डकैत बन गई थीं।
जीते ढेरों पुरस्कार
'बैंडिट क्वीन' में सीमा बिसवास के साथ ही मनोज बाजपेयी, गजराज राव और सौरभ शुक्ला जैसे कलाकार मौजूद थे। फिल्म ने 3 राष्ट्रीय पुरस्कार, 3 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे। इस फिल्म को 1994 में भारत की आधिकारिक एंट्री के तौर पर ऑस्कर भेजा गया था।