'छाेरी 2' रिव्यू: सोहा अली खान की वापसी दमदार, नुसरत भरूचा भी तालियाें की हकदार
क्या है खबर?
बॉलीवुड में रीमेक बनाने का चलन बहुत पुराना है। नुसरत भरूचा और मीता वशिष्ठ अभिनीत 'छोरी' भी मराठी फिल्म 'लपाछपी' का रीमेक थी, जो डराने के साथ-साथ भ्रूण हत्या को लेकर अहम संदेश दे गई थी।
साल 2021 में आई इस फिल्म का सीक्वल 'छोरी 2' लंबे समय से चर्चा में था।
आज यानी 11 अप्रैल को नुसरत और सोहा अली खान अभिनीत 'छोरी 2' अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है।
आइए जानें कैसी है ये फिल्म।
कहानी
'छोरी' को बचाने की कहानी
'छोरी 2' की कहानी 'छोरी' के 7 साल बाद के समय से शुरू होती है। साक्षी (नुसरत) ने 7 साल पहले अपने सास-ससुर और पति को मार दिया था। उसकी छोरी ईशानी (हार्दिका शर्मा) बड़ी हो चुकी है।
ईशानी को सोलर अर्टिकेरिया नाम की गंभीर बीमारी है, जिसके चलते वह सूरज की रोशनी में नहीं जा सकती। उसके पिता ने उसके पीछे शैतानी शक्तियां लगाई हैं।
बेटी को मौत के बवंडर से साक्षी कैसे बचाती है, यह देखने लायक है।
खासियत
सोहा निकलीं सरप्राइज पैकेज
यह फिल्म न सिर्फ अलौकिक शक्तियों और भूतिया सस्पेंस से भरी है, बल्कि लैंगिक भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दे को भी छूती है। यह मां की अपने बच्चे को बचाने की जद्दोजहद को दिखाती है, जो रोंगटे खड़े कर देने के साथ-साथ भावुक भी कर देती है।
फिल्म में सोहा ने सरप्राइज दिया है। उन्होंने शानदार वापसी की है। वह फिल्म की खलनायिका है, जो अपने खौफनाक अंदाज से डराने का माद्दा रखती है और यही उनके किरदार की जीत है।
अभिनय
खूब दमकीं सोहा और नुसरत
फिल्म में सोहा दासी मां की भूमिका में हैं, जो अपनी वापसी से अदाकारी की एक लंबी लकीर खींच जाती हैं।
न तो पहले सोहा कभी पर्दे पर खलनायकी करती दिखी थीं और ना ही उनका ऐसा भयानक अवतार सामने आया था। अदाकारी के मोर्चे पर सोहा अव्वल नंबर रहीं। कुल मिलाकर OTT पर ही सही, पर सोहा का सूरज चमक उठा है।
उधर नुसरत ने अपनी अदाकारी का वो सिक्सर जड़ा है, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
जानकारी
सहायक कलाकारों ने भी किया कमाल
हर कलाकार अपनी अदाकारी से छाप छोड़ जाता है। एक ओर पुलिस अफसर बने समय उर्फ गश्मीर महाजनी का काम सराहनीय है, वहीं हार्दिका का अभिनय दिल छू जाता है। उधर नकारात्मक भूमिका में कुलदीप सरीन ने भी अपनी भूमिका पूरी शिद्दत से निभाई है।
निर्देशन
निर्देशन पक्ष भी जान लीजिए
निर्देशक विशाल फुरिया की यह फिल्म 'छोरी' जितनी डरावनी तो नहीं, लेकिन जिस तरह से उन्होंने 'छोरी' की कहानी को 'छोरी 2' से जोड़ा है, वो काबिल-ए-गौर है।
बीच-बीच में कहानी भटकती है, जिसके चलते ये फिल्म बोझिल लगती है, लेकिन इसका कॉन्सेप्ट अच्छा है। ये समाज के अंधविश्वासों पर एक करारा तमाचा है। ये उन बड़े सितारों की बड़ी फिल्मों से कई गुना बेहतर है, जो न सिफ दर्शकों को पका रहीं, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी पिट रहीं।
खामियां
जानिए फिल्म की कमियां
फिल्म के कुछ दृश्य दिल दहला देते हैं, लेकिन क्लाइमैक्स तक आते-आते यह कमजोर पड़ जाती है।
सेकेंड हाफ में आकर इसकी रफ्तार धीमी हो जाती है।
उधर अगर फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक पर और ध्यान दिया जाता तो इसे देखने में शायद और मजा आता।
'छोरी 2' बेशक अच्छी है, लेकिन यह उतनी दमदार नहीं है।
2 घंटे 13 मिनट की 'छोरी 2' में खामियां तो हैं, लेकिन इन कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है।
फैसला
फिल्म देखने लायक है या नहीं?
क्यों देखें?- 'छोरी 2' कोई ऐसी-वैसी फिल्म नहीं है। फिल्म सोचने पर मजबूर करती है और ऐसी फिल्मों को एक मौका जरूर मिलना चाहिए, वहीं कलाकारों की कमाल की अदाकारी भी इसे दर्शनीय बनाती है।
क्यों न देखें?- वैसे तो फिल्म न देखने की कोई सटीक वजह नहीं, क्योंकि यह कहानी से लेकर अदाकारी तक कर मोर्चे पर खरी उतरती है, लेकिन अगर हॉरर फिल्मों से दूर भागते हैं तो 'छोरी 2' से भी दूरी भलाई है।
न्यूजबाइट्स प्लस- 3.5/5