जयंती विशेष: ललिता पंवार के जीवन से जुडीं घटनाएं, इस हादसे ने बनाया नायिका से खलनायिका
क्या है खबर?
अपनी पैंतरे वाली चाल और कुटिल मुस्कान के लिए मशहूर ललिता पंवार में ऐसा कुछ खास था, जिसके चलते लोग उन्हें कभी नहीं भूलेंगे।
बॉलीवुड में तो उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया ही, लेकिन धारावािहक 'रामायण' में मंथरा की भूमिका निभाकर वह एकदम से देशभर के दर्शकों की नजरों में आ गईं।
आज यानी 18 अप्रैल को ललिता का जन्म हुआ था।
फिल्मों में ग्लैमरस हीरोइन बनने वाली अदाकारा अचानक कैसे खलनायिका बन गईं, आइए जानते हैं।
रिकॉर्ड
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में कराया अपना नाम दर्ज
ललिता ने मात्र 9 साल की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रख लिया था। उनकी पहली फिल्म 1928 में आई 'राजा हरिशचंद्र' थी। यह भारत की पहली मूक फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने कई मूक फिल्में कीं और अपनी एक अलग पहचान बनाई।
अपने 70 साल के लंबे एक्टिंग करियर में ललिता ने 700 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया।
इतने लंबे करियर के कारण ललिता का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल कर लिया गया।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
ललिता का जन्म महाराष्ट्र में एक मंदिर के बाहर हुआ था। उनकी मां अनसूया मंदिर गई थीं। मंदिर के गेट पर पहुंचते ही उन्हें तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। अस्पताल ले जाते कि उन्होंने उससे पहले ही मंदिर के बाहर बेटी को जन्म दे दिया।
कमाई
पढ़ी-लिखी न होने के बावजूद की सबसे ज्यादा कमाई
ललिता एक रईस परिवार से थीं, लेकिन जिस दौर (1916) में वह जन्मी थीं, उस दौर में लोग लड़कियों को बहुत कम पढ़ाते थे। लिहाजा संपन्न परिवार होने के बावजूद वह पढ़-लिख नहीं पाईं।
ललिता को शुरुआत में फिल्मों में काम करने के लिए 18 रुपये मिलते थे। देखते ही देखते उनकी लोकप्रियता और कमाई बढ़ने लगी।
ललिता अपने दौर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हीरोइनों में शुमार हो गईं। 1988 तक फिल्मों में उन्होंने अपना दबदबा कायम रखा।
हादसा
एक हादसे से बदल गया सब कुछ
ललिता अपनी फिल्मों के बलबूते लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थीं, लेकिन सेट पर हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया।
दरअसल, 1942 में ललिता अभिनेता भगवान दादा के साथ फिल्म 'जंग-ए-आजादी' के लिए शूट कर रही थीं।
एक सीन की शूटिंग के दौरान दादा को ललिता को थप्पड़ मारना था, लेकिन गलती से ललिता को थप्पड़ कान पर लग गया। इस कारण उनकी आंख के पास की नस फट गई।
परिणाम
बर्बाद हुआ करियर
ललिता को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां मिले गलत इलाज के कारण उनकी हालत और बिगड़ गई। उनके शरीर के एक हिस्से में लकवा मार गया।
कई साल इलाज के बाद वह ठीक तो हो गईं, लेकिन उनकी एक आंख खराब हो गई और उनके करियर की लुटिया भी डूब गई।
इस घटना से पहले तक ललिता बतौर लीड हीरोइन काम कर रही थीं, लेकिन बाद में निर्माता-निर्देशकों ने उन्हें लीड रोल में लेने से इनकार कर दिया।
जानकारी
3 साल तक रहीं खाली
इलाज के कारण ललिता 3 साल तक घर पर खाली बैठी रहीं, लेकिन जब वापस लौटीं तो उन्हें मां-बहन और सास के किरदार ही मिलते रहे, लेकिन उन्होंने इन किरदारों में भी ऐसी जान फूंकी कि वो हमेशा के लिए अमर हो गए।
बीमारी
मुंह के कैंसर के बाद टूटा दुखों का पहाड़
ललिता को मुंह का कैंसर भी हो गया। उन्हें लगा कि ऐसा उन नेगेटिव किरदारों की वजह से हुआ है, जो उन्होंने फिल्मी पर्दे पर निभाए क्योंकि लोगों ने उन किरदारों में उन्हें खूब कोसा। ललिता की हालत और खराब होती चली गई।
ललिता ने फिल्ममेकर गणपत राव से शादी की थी, लेकिन शादी के कुछ साल बाद पता चला कि उनका अफेयर ललिता की छोटी बहन से चल रहा है। इस कारण गणपत से उनकी शादी टूट गई।
दुखद
निधन के वक्त अकेली थीं ललिता
बताया जाता है कि जब ललिता की मौत हुई तो घर पर उनके साथ परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था। वह पुणे स्थित अपने बंगले में रह रही थीं। उन्होंने वहीं आखिरी सांस ली।
जब बेटे ने फोन किया और किसी ने फोन नहीं उठाया तो परिवारवाले आए, लेकिन तब तक देर हो चुकी थीं। ललिता इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थीं।
3 दिन बाद उनका शव बरामद हुआ था। 24 फरवरी, 1998 में उनका निधन हुआ था।