करण जौहर बोले- शाहरुख और काजोल के बिना कभी नहीं बनती 'माय नेम इज खान'
करण जौहर, बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता और निर्देशक हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं, जिनमें से एक 'माय नेम इज खान' भी है। साल 2010 में रिलीज हुई इस फिल्म ने आज (12 फरवरी) को 14 साल पूरे कर लिए हैं। फिल्म को समीक्षकों से लेकर दर्शकों तक शानदार प्रतिक्रिया मिली थी। इस खास मौके पर करण ने फिल्म के बारे में बात की और इसे उनके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्म बताया।
करण की जिद का नतीजा है 'माय नेम इज खान'
जूम के साथ एक इंटरव्यू में करण ने 'माय नेम इज खान' के बारे में बात की और बताया कि इसमें बहुत सारी चीजें अलग हैं। उन्होंने आगे कहा, "मैंने यह फिल्म ना केवल दृढ़ विश्वास से बनाई थी, बल्कि जिद में भी बनाई थी। मैं अब जिद में कभी फिल्म नहीं बनाना चाहता। मुझे इसका पछतावा है।" करण के मुताबिक, अपनी बात साबित करने के लिए फिल्म नहीं बनानी चाहिए।
फिल्म को चमक-दमक से रखा दूर
करण का कहना है कि 'माय नेम इज खान' उनकी वह फिल्म है, जिसमें उन्होंने सबसे कम गलतियां की हैं। करण ने यह भी बताया कि उन्होंने काजोल और शाहरुख खान अभिनीत इस फिल्म में चमक-दमक शामिल करने की कोशिश नहीं की थी, जिसकी वजह से इसमें कोई गलती नहीं हुई। निर्देशक ने कहा, "मैंने 'माय नेम इज खान' से कोई समझौता नहीं किया। यहां मुझे कुछ भी व्यावसायिक जोड़ने की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई।"
क्यों बनाई 'माय नेम इज खान'?
करण ने बताया कि यूं तो दर्शकों ने उनकी फिल्मों को खूब पसंद किया है, लेकिन उन्हें ग्लैमर और फिजूलखर्ची करने वाले निर्देशक की श्रेणी में रखा जाता था। 'माय नेम इज खान' से पहले जब भी वह गंभीर फिल्में बनाने वाले निर्देशकों के बीच बैठते थे तो उन्हें लगता था कि वे लोग उन्हें उस तरह का सम्मान नहीं देते। इसलिए उन्हें यह फिल्म बनाई। हालांकि, अब करण को उस बात को सोचकर बहुत अफसोस होता है।
करण के लिए 'सुपरहीरो' फिल्म है 'माय नेम इज खान'
करण का मानना है कि 'माय नेम इज खान' एक सुपरहीरो फिल्म है, जिसमें हीरो की शक्ति 'मानवता' है। निर्देशक बोले, "जैसे कि मेरी फिल्म सीख देती है हमें अपने डर से ज्यादा, अपनी सीमाओं से ज्यादा और अपने नाम से कई ज्यादा मजबूत होना चाहिए। हमें मानवता को और शक्ति देनी होगी।" करण के मुताबिक, हम भारतीय एक मजबूत ताकत हैं। हम अपने आप को कम आंकते हैं, लेकिन एकता बहुत बड़ी शक्ति है।
करण ने की काजोल और शाहरुख की तारीफ
करण ने कहा अगर कोई भी फिल्म जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करती है तो वह एक निर्देशक के रूप में सफल हैं। करण ने कहा, "मैं शाहरुख और काजोल के बिना 'माय नेम इज खान' नहीं बना पाता। केवल एक मां ही मंदिरा (काजोल) की भूमिका निभा सकती थी और मैं जानता था कि वह मना नहीं करेंगी। जब आप शाहरुख खान को उनकी नजरों से देखते हैं तो आप उनसे और भी ज्यादा प्यार करने लगते हैं।"
क्या थी फिल्म की कहानी?
फिल्म आतंकवाद की आड़ में दुनियाभर में मुसलमानों के साथ होने वाले भेदभाव पर आधारित है। फिल्म में शाहरुख ने रिजवान का किरदार निभाया था, जो स्पर्गर सिंड्रोम से पीड़ित था। वह अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलकर यह बताना चाहता था कि वह आतंकवादी नहीं है।