फिल्म 'क्रैक' रिव्यू: एक्शन में अव्वल, लेकिन अभिनय की परीक्षा में फेल हुए विद्युत जामवाल
क्या है खबर?
भारतीय फिल्मों में अपनी हैरतंगेज मार्शल आर्ट्स का नमूना पेश करने वाले विद्युत जामवाल की फिल्म 'क्रैक' पिछले काफी समय से सुर्खियों में है।
फिल्म को भारत की पहली एक्स्ट्रीम स्पोर्ट्स एक्शन फिल्म की तरह प्रचारित किया गया था, जिसने दर्शकों के दिलों में इसके लिए उत्सुकता बढ़ाई है।
आखिरकार, आज (23 फरवरी) को 'क्रैक' ने टिकट खिड़की पर अपना सफर शुरू कर दिया है।
चलिए जानते हैं कैसी विद्युत की यह नई एक्शन फिल्म।
कहानी
मुंबई में रहने वाले दो भाइयों की कहानी
'क्रैक' की कहानी सपनों के शहर मुंबई में रहने वाले सिद्धार्थ दीक्षित उर्फ सिद्धू (विद्युत) के एक्सट्रीम स्पोर्ट्स की दुनिया में नाम और पैसा कमाने के सपने से शुरू होती है।
यह सपना उसने और उसके भाई निहाल (अंकित मोहन) ने साथ देखा, लेकिन सिद्धू से पहले उसका भाई 'मैदान' पहुंच जाता है।
अफसोस निहाल जान गंवा देता है। मां-बाप के समझाने के बाद भी सिद्धू नहीं रुकता और पहुंच जाता है देव (अर्जुन रामपाल) के सजाए गए 'मैदान' में।
कहानी
यहां बदला कहानी का रुख
पोलैंड में देव का वह 'मैदान' किसी जेल से कम नहीं है, जहां सिर्फ और सिर्फ उसके ही नियम चलते हैं और जो उन्हें नहीं मानता अपनी जान से हाथ धो बैठता है।
यह दुनिया जितनी हैरतअंगेज दिखती है, उतनी ही खतरनाक भी है, लेकिन सिद्धू सभी खतरों को पार कर जीत की ओर बढ़ता है।
फिर कुछ ऐसे होता है, जिनसे उसे उसके भाई की मौत के राज का अंदाजा का लगता है और सारा खेल बदल जाता है।
अभिनय
विद्युत फिर एक्शन में आगे
'क्रैक' में विद्युत फिर से धूम-धड़ाके के साथ लौटे हैं। एक्शन में उनका कोई जवाब नहीं। उन्होंने दर्शकों को रिझाने के लिए एक्शन से कुछ अलग करने की कोशिश की है, लेकिन अभिनय में वह एक बार फिर मात खा गए।
हालांकि, 'क्रैक' के विलेन अर्जुन ने बढ़िया अभिनय किया। उनकी खलनायकी और एक्शन दर्शकों में जोश भर सकता है।
नोरा का फिल्म में होना न होना बराबर है, क्योंकि उनके लिए फिल्म में करने के लिए कुछ है नहीं।
प्रदर्शन
सह-कलाकारों का कैसा रहा प्रदर्शन?
विद्युत के भाई के रूप में अंकित ने का प्रदर्शन अच्छा है और वह पूरी फिल्म में अपनी मौजूदगी का अहसास कराने में सफल रहे।
अर्जुन के पिता और 'मैदान' के मुखिया मार्क के रूप में अनुभवी अभिनेता बिजय आनंद ने अपना कमाल दिखाया है। हालांकि, निर्देशक उनके किरदार को और थोड़ा मजबूती से पेश कर सकते थे।
एमी जैक्सन पुलिस अफसर (पैटरोसिया नोवाक) के किरदार में जान फूंकने में असफल रहीं। जेमी लीवर ने अपने अभिनय से प्रभावित किया।
स्टंट्स
एक्शन और स्टंट की दमदार दुनिया
कहना ही पड़ेगा कि अगर फिल्म को भारत की पहली एक्सट्रीम एक्शन फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया था तो इसमें कुछ भी गलत नहीं था।
फिल्म में दिखाई गई एक्ट्रीम स्पोर्ट्स की दुनिया में एक से बढ़कर एक स्टंट दिखाए जाते हैं, जिन्हें निर्देशक आदित्य दत्त ने बेहतरीन तरीके से फिल्माया है।
'क्रैक' के शानदार VFX की मदद से विद्युत समेत सभी कलाकारों के स्टंट को भव्य बनाया गया है।
निर्देशन
आदित्य दत्त की ठीक-ठाक कोशिश
आदित्य दत्त फिल्म के निर्देशक हैं, जिन्होंने फिल्म में अपने लेखन और निर्देशन से जान फूंकी है। जैसे-जैसे फिल्म फ्रेम-दर-फ्रेम आगे बढ़ती है इसके दृश्य भव्य होते जाते हैं।
हालांकि, निर्देशक का 'क्रैक' की एक्शन दुनिया में दो भाइयों के प्यार की कड़ी जोड़कर इसमें इमोशन का तड़का लगाने का प्रयास विफल रहा।
उनकी हॉलीवुड फ्रैंचाइजी 'द हंगर गेम्स' की तरह स्पोर्ट फिल्म बनाने की कोशिश सफल रही है। फिल्म सिनेमाई मनोरंजन की तरह देखी जाए तो यह अच्छी है।
जानकारी
'द हंगर गेम्स' को दुनियाभर में मिला प्यार
साल 2012 में रिलीज हुई 'द हंगर गेम्स' एक एक्सट्रीम स्पोर्ट्स की दुनिया को दिखाती है, जिसमें लोग अपनी जान की बाजी लगाकर खतरनाक खेल खेलते हैं। जेनिफर लॉरेंस अभिनीत फिल्म सफल रही थी। इसके बाद इस फिल्म के दो भाग और लाए गए थे।
कमजोरी
गाने हैं सबसे बड़ी कमजोरी
'क्रैक' की सबसे बड़ी कमजोरी फिल्म में बेवजह डाले गए गाने हैं। फिल्म की कहानी में गानों के लिए कोई जगह नहीं है।
हालांकि, फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक ने इसके हर दृश्य में अलग ही प्रभाव डालने का काम किया है। हर दृश्य के हिसाब से बैकग्राउंड म्यूजिक सटीक लगता है।
विद्युत की भाषा और वेशभुषा पर थोड़े और काम की जरूरत महसूस होती है। मुंबई की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों का लहजा उन पर नहीं जमता।
कमियां
ये कमियां भी खलती हैं
फिल्म में भरपूर एक्शन दिखाने के चक्कर में इसके कलाकारों में भावों की कमी नजर आती है।
'क्रैक' के मुख्य अभिनेता विद्युत भी डायलॉग के हिसाब से अपने चेहरे पर भाव लाने में असफल रहे।
नोरा और एमी का अभिनय फिल्म की कहानी की कमजोर कड़ी रहा।
इसके साथ ही 'क्रैक' में नोरा और विद्युत की कैमिस्ट्री भी नाखुश करेगी।
आदित्य ने अगर एक्शन के साथ-साथ कलाकारों के हाव-भाव पर भी काम किया होता तो बात कुछ और होती।
निष्कर्ष
देखें या नहीं देखें?
क्यों देखें?- फिल्म में शानदार स्टंट और हैरतअंगेज खेल दिखाए गए हैं, जो बड़े पर्दे पर देखने में बेहतरीन लगेंगे। विद्युत और अर्जुन के प्रशंसक दोनों के टकराव का मजा लेने के लिए जा सकते हैं।
क्यों न देखें?- अगर आपको ज्यादा एक्शन देखने और जान की बाजी लगाते लोगों को देखने से परहेज है तो इस फिल्म को दूर से ही नमस्ते कह सकते हैं। यह फिल्म 2 घंटे 28 मिनट लंबी है।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5