निर्माता अशोक पंडित को लेकर फैली अफवाह, गिरफ्तारी की मांग; हंसल मेहता ने भी लगाई फटकार
जाने माने निर्माता-निर्देशक अशोक पंडित ने एक सोशल मीडिया यूजर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। मामला उनकी एक फर्जी खबर से जुड़ा है। दरअसल, फिल्ममेकर खुद को लेकर चल रही एक फर्जी खबर से खासा नाराज हैं और अब उन्होंने उसे खबर को फैलाने वाले शख्स के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। अशोक ने खुद इस खबर की पुष्टि की है। उनसे पहले निर्देशक हंसल मेहता ने उस शख्स को खरी-खोटी सुनाई थी। आइए पूरा मामला जानें।
निर्माता ने क्यों उठाया ये कदम?
अशोक ने सोशल मीडिया यूजर की आलोचना की, जिसने कहा था कि फिल्म निर्माता को 2 दिन पहले दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसने लिखा था कि किसी ने उनका हाल नहीं पूछा। अशोक फिल्म '72 हूरें' को मिली असफलता से हताश हैं। निर्माता ने फ्री प्रेस जर्नल से कहा, "यह बहुत दुखद है। लोगों को ऐसी चीजों से संतुष्टि मिलती है। मैं भगवान से उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
सोशल मीडिया पर निर्माता ने मुख्यंमत्री से की ये अपील
फिल्म निर्माता ने मुंबई के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और मुंबई पुलिस को टैग करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यूजर के पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी साझा किया। इसके साथ उन्होंने लिखा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, जिसने मेरे बारे में झूठ फैलाया है और मेरे शुभचिंतकों के बीच दहशत पैदा कर दी है। ये आदमी समाज के लिए खतरा है और इसे सलाखों के पीछे होना चाहिए।'
हंसल मेहता ने भी लगाई थी लताड़
अशोक ने बताया कि वह हर हाल में और जल्द से जल्द उसकी गिरफ्तारी चाहते हैं। इससे पहले निर्देशक हंसल मेहता ने लिखा था, 'हो सकता है कि आप उनसे असहमत हों तो उन्हें नजरअंदाज करें, लेकिन अफवाह फैलाना बंद करें। आपकी इस फर्जी खबर के लिए रिपोर्ट कर रहा हूं। अशोक पंडित स्वस्थ हैं। किसी के स्वास्थ्य के बारे में इस तरह की गंदगी फैलाना बहुत गलत है, भले ही वह आपका सबसे बड़ा दुश्मन ही क्यों न हो।'
हंसल मेहता का पोस्ट
'72 हूरें' के लिए अशोक को मिली थीं धमकियां
अशोक भारतीय फिल्म और टेलीविजन निर्देशक संघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं। वह फिल्म '72 हूरें' के सह-निर्माता रहे हैं। सकी रिलीज से पहले उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां भी मिली थीं, जिसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गई थी। इस फिल्म के निर्देशक संजय चौहान को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे आतंकवादी मासूम लोगों को बहला-फुसलाकर उन्हें आतंकवाद की तरफ धकेलते हैं।