'अनुपमा' के निर्माता रंजन शाही ने बताया, क्या सच में 18 घंटे काम करते हैं कलाकार
क्या है खबर?
सिनेमा और OTT की बढ़ती लोकप्रियता के बीच टीवी अब भी दर्शकों का पसंदीदा माध्यम बना हुआ है। यही वजह है कि टीवी निर्माता हर तरह के शो के साथ खूब प्रयोग कर रहे हैं।
चाहे सास-बहू सीरियल हो या फिर पौराणिक कहानियां, टीवी पर कई शो लंबे समय तक लोकप्रिय रहे।
ऐसे में टीवी प्रोड्यूसर पर कलाकारों को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगता है। अब टीवी प्रोड्यूसर रंजन शाही ने टीवी के कामकाज पर बात की।
कहानी
क्यों एक जैसी होती है हर सीरियल की कहानी?
रंजन शाही ने 'जस्सी जैसी कोई नहीं' से टीवी करियर की शुरुआत की थी। बतौर निर्माता 'सपना बाबुल का बिदाई' उनका पहला शो था।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि 'बिदाई' एक साधारण कहानी थी, लेकिन बेहद सफल रही। उसके बाद 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में भी ऐसी ही कहानी दिखी।
उन्होंने बताया, अधिकांश टीवी शो 1 महिला और 2 पुरुष या 1 पुरुष 2 महिलाओं की कहानी होते हैं, क्योंकि कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता है।
खंडन
18 घंटे काम नहीं करते कलाकार- रंजन
कई कलाकार बताते हैं कि उन्हें सेट पर 18 घंटे तक काम करना पड़ता है।
रंजन ने इन बातों का खंडन किया। उन्होंने कहा, "ऐसा कभी-कभी होता है, हमेशा नहीं। कुछ प्रशंसक गलत धारणा बना लेते हैं कि निर्माता कलाकारों का शोषण करते हैं।"
रंजन ने आगे कहा कि उनके गुरु महेश भट्ट ने उनसे कहा था, "अपने कलाकारों से हमेशा प्यार करिए, तभी आपको उनकी मेहनत देखने को मिलेगी।"
कार्रवाई
ऐसे कलाकारों को बर्दाश्त नहीं करते निर्माता
रंजन अपने कलाकारों की खूब प्रशंसा करते हैं, लेकिन अगर कोई उन्हें परेशान करे तो उसे झेलते नहीं हैं।
रंजन के अनुसार, शो से बड़ा कोई नहीं होता है, निर्माता भी नहीं।
वह कई कलाकारों को अपने शो से निकाल चुके हैं, जिनका रवैया लोकप्रियता पाने के बाद बदल गया था। रंजन ने कहा कुछ कलाकार कैमरे पर बहुत अच्छे हो सकते हैं, लेकिन अगर वे स्टाफ से दुर्व्यवहार करें तो उन्हें यह पसंद नहीं।
अनुपमा
'अनुपमा' की सफलता ने तोड़ा लोगों का भ्रम
रंजन ने बताया कि उन्हें ऐसे कलाकारों के साथ काम करना पसंद है, जिन्हें काम करने की भूख हो।
'अनुपमा' के कलाकार गौरव खन्ना, सुधांशु पांडे और रूपाली गांगुली लंबे समय से काम नहीं कर रहे थे, इसलिए वे अच्छा काम करना चाहते थे।
बकौल रंजन 'अनुपमा' ने उन सबकी बोलती बंद कर दी, जो कह रहे थे कि अब टीवी का दौर खत्म हो गया। यह कोरोना के दौर में आया और छा गया।