नर्सिंग की किताब में बताए गए दहेज के फायदे, सांसद ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र
जहां एक तरफ दहेज प्रथा खत्म करने के लिए देशभर में तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक पाठ्यपुस्तक में दहेज प्रथा के फायदे गिनाए गए हैं। दरअसल, इंडियन नर्सिंग काउंसिल के B.Sc. पाठ्यक्रम की एक किताब में दहेज के फायदे को सूचीबद्ध करते हुए लिखा गया है कि दहेज के कारण कुछ बदसूरत लड़कियों की भी शादी हो जाती है।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने की दहेज संबंधित पाठ हटाने की मांग
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोमवार को ट्विटर पर इस पुस्तक के एक पन्ने की कटिंग शेयर की। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से किताब से इस पाठ को हटाने की मांग करते हुए कहा, 'दहेज प्रथा आज भी हमारे समाज में जिंदा है। ये संविधान और राष्ट्र के लिए शर्म की बात है। मैं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से आग्रह करती हूं कि दहेज के फायदे गिनाने वाले इस तरह के पाठ को किताबों से हटाएं।'
प्रियंका ने प्रधान को भेजे गए पत्र में क्या बातें लिखीं?
प्रियंका ने अपने पत्र में कहा कि यह भयावह है कि इस तरह की अपमानजनक और समस्याग्रस्त पुस्तकें प्रचलन में हैं और यह देश और संविधान के लिए शर्म की बात है। उन्होंने कहा, "इस तरह की पुस्तकों के प्रसार को तुरंत रोका जाना चाहिए। इन्हें पाठ्यक्रम से भी हटा दिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त उपाय किए जाने चाहिए कि भविष्य में इस तरह की महिला विरोधी सामग्री को न पढ़ाया जाए।"
किताब में दहेज को लेकर क्या बातें लिखी गईं हैं?
किताब में लिखा है कि दहेज के कारण आज लड़कियों में शिक्षा भी बढ़ रही है क्योंकि ज्यादा दहेज न देना पड़े इसलिए कई माता-पिता अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देते हैं। इसमें आगे बताया गया है कि ऐसी लड़कियों से शादी करने के लिए अधिकांश लोग तैयार रहते हैं। इसमें लिखा है कि दहेज के कारण कुछ बदसूरत लड़कियों की शादी भी अच्छे या बदसूरत लड़के से हो जाती है।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने दी सफाई
नर्सिंग काउंसिल ने मामले पर सफाई देते हुए कहा, "काउंसिल देश के कानून के खिलाफ इस तरह के किसी भी अपमानजनक कंटेंट के खिलाफ है। यह स्पष्ट किया जाता है कि काउंसिल सिर्फ वही सिलेबस निर्धारित करती है जो उसकी वेबसाइट पर है।" उसने कहा कि काउंसिल किसी भी लेखक या प्रकाशन का समर्थन नहीं करती है और न ही किसी लेखक को अपने प्रकाशनों के लिए काउंसिल के नाम का उपयोग करने की अनुमति देती है।