UGC ने 2 विषयों के लिए MPhil कार्यक्रमों की वैधता बढ़ाई, इस साल तक रहेंगे मान्य
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2 विषयों में मास्टर ऑफ फिलॉसफी (MPhil) कार्यक्रमों की वैधता बढ़ा दी है। आयोग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, नैदानिक मनोविज्ञान और मनोरोग सामाजिक कार्य के लिए MPhil कार्यक्रमों की वैधता बढ़ाई गई है। अब इन दोनों विषयों के MPhil कार्यक्रम 2025-26 तक मान्य रहेंगे। इसका मतलब है कि इन कार्यक्रमों में छात्रों को 2 और शैक्षणिक सत्रों के लिए प्रवेश दिया जाएगा।
UGC लगा चुका है MPhil कार्यक्रमों में प्रवेश पर रोक
इससे पहले दिसंबर, 2023 में UGC ने साल 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के लिए MPhil कार्यक्रमों में नए छात्रों को प्रवेश न देने के आदेश दिए थे। UGC ने जानकारी दी थी कि विश्वविद्यालयों में पेश किए जाने वाले MPhil कार्यक्रम वैध नहीं है। ऐसे में किसी भी उच्च शिक्षा संस्थानों को इस कार्यक्रम की पेशकश नहीं करना चाहिए। हालांकि, अब UGC ने 2 कार्यक्रमों के लिए नियमों में छूट दी है।
इस वजह से बढ़ाई गई मान्यता अवधि
UGC ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में नैदानिक मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों द्वारा निभाई गई भूमिका को ध्यान में रखते हुए मान्यता अवधि बढ़ाने का फैसला लिया है। यह अप्रत्याशित परिवर्तन उच्च शिक्षा संस्थानों को 2025-26 शैक्षणिक सत्र तक नैदानिक मनोविज्ञान और मनोरोग सामाजिक कार्य क्षेत्रों के लिए MPhil कार्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति देता है। इस फैसले से मनोविज्ञान के क्षेत्र में शोध करने वाले छात्र प्रभावित होंगे।
क्यों अमान्य की गई MPhil डिग्री?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में MPhil कार्यक्रमों को बंद करने की बात कही गई है। शिक्षा नीति MPhil की आवश्यकता को समाप्त करते हुए 4 वर्षीय स्नातक डिग्री और गहन शोध स्नातकोत्तर डिग्री की सिफारिश करती है। ऐसे में उच्च शिक्षा संस्थान स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के विभिन्न डिजाइन पेश कर सकते हैं। इसके तहत 2 वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम का दूसरा वर्ष अनुसंधान के लिए समर्पित होगा और PhD के लिए स्नातकोत्तर डिग्री या शोध के साथ 4 वर्षीय स्नातक डिग्री आवश्यक होगी।
कई छात्र लेते थे MPhil कार्यक्रमों में प्रवेश
MPhil एक स्नातकोत्तर अनुसंधान कार्यक्रम था, इसकी अवधि 2 साल की होती थी। पहले शोध में करियर बनाने के लिए छात्र PhD से पहले MPhil में प्रवेश लेते थे। छात्रों के बीच यह धारणा थी कि MPhil के बाद PhD में आसानी से प्रवेश मिलता है और शोध भी पूरा होता है, लेकिन UGC ने PhD डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं विनियम को 7 नवंबर, 2022 को अधिसूचित कर MPhil की अनिवार्यता खत्म कर दी थी।