जानिए ऐसे पांच IITians की कहानियां, जिन्होंने सभी संघर्षों को पार करके पूरे किए अपने सपने
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में प्रवेश के लिए आयोजित कराई जाती है। इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले ज्यादातर उम्मीदवारों का सपना JEE पास करके IIT में प्रवेश लेने का होता है। JEE पास करना आसान बात नहीं है, इसके लिए दृढ़ संकल्प की जरुरत होती है। हालांकि, कुछ IITians हैं, जिन्होंने सभी समस्याओं को पार करके अपना सपना पूरा किया। आइए ऐसे ही पांच IITians की प्रेरणादायक कहानियां जानते हैं।
दोनों पैर खोने के बावजूद पास की परीक्षा
IIT-मद्रास से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने वाले नाग नरेश करुतारा की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। नरेश आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव से हैं। उन्होंने बचपन में एक दुर्घटना में अपने दोनों पैर खो दिए थे। उनके पिता एक ट्रक चालक थे और उनके माता-पिता दोनों ही पढ़े-लिखे नहीं थे। व्हीलचेयर-बाउंड होने के बावजूद नरेश ने IIT-JEE परीक्षा पास की और IIT-मद्रास से स्नातक करने के बाद गूगल में नौकरी की।
बिना कोचिंग और क्लबफुट से पीड़ित होने के बाद भी पास की परीक्षा
कमर के नीचे के अंगों को प्रभावित करने वाली बीमारी क्लबफुट से पीड़ित राजेश शर्मा ने 2009 में JEE परीक्षा पास करके IIT-बॉम्बे में प्रवेश लिया। राजेश के पिता जोधपुर में बढ़ई हैं और वे उनकी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते थे। फिर भी बिनी कोचिंग के उन्होंने शारीरिक रूप से अक्षम श्रेणी में 20वीं रैंक हासिल की। समस्याओं को पार करके राजेश ने जापान की ई-कॉमर्स कंपनी में 32 लाख रुपये सालाना की नौकरी प्राप्त की।
12वीं में 39% लाने के बाद भी पास की परीक्षा
राजीव दंडोतिया राजस्थान के सुदूर गाँव से थे। उन्होंने केवल 39% नंबरों के साथ 12वीं पास किया था। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षा से ही वे अपने परिवार की आर्थिक स्तिथि सुधार सकते हैं, इसलिए उन्होंने JEE की तैयारी करने का फैसला किया। उन्होंने तीसरे प्रयास में 2002 में JEE पास की और IIT-खड़गपुर में प्रवेश लिया। बाद में उन्होंने PhD की और Maersk Drilling में शामिल हो गए। वह अभी स्वीडन में टेट्रा पाक के लिए काम करते हैं।
बिना उंगलियों के पास की GATE की परीक्षा
IIT पटना के पूर्व छात्र शिवम पोरवाल का जन्म बिना उंगलियों और खराब पैर के साथ हुआ था। मध्य प्रदेश के महिदपुर के रहने वाले पोरवाल फ़ोकोमेलिया सिंड्रोम बीमारी से पीडित थे। उनके पिता की एक पान की दुकान थी और वे बहुत कम पैसे ही कमा पाते थे। फाइनेंशियल समस्याओं और शारीरिक चुनौतियां होने के बावजूद भी शिवम ने GATE परीक्षा पास करके IIT पटना में प्रवेश लिया। बाद में उन्होंने टेलीकॉम ऑफिसर के रूप में BSNL ज्वाइन किया।
बेहद गरीब परिवार से होने के बाद भी पास की परीक्षा
बेहद गरीब परिवार से आने वाले कानपुर के अभिषेक भारतीय दिन में काम और रात में पढ़ाई करते थे। उनके पिता जूते सही करने का काम और माँ कपड़े सिलते का काम करती थीं। अभिषेक ने JEE-2010 परीक्षा पास की और IIT-कानपुर में प्रवेश लिया।