इस स्कूल में छात्रों को पढ़ाते हैं रोबोट, देते हैं उनके सवालों का जबाव
जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है टेक्नॉलॉजी भी तेजी से आगे बढ़ रही है। टेक्नॉलॉजी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक अलग जगह बना ली है। आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये क्यों बता रहे हैं, तो आपको बता दें कि बेंगलुरु के एक स्कूल में रोबोट बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जी हां, रोबोट शिक्षक के रुप में बच्चों की क्लास ले रहे हैं और उन्हें पढ़ा रहे हैं। आइए जानें क्या है पूरी खबर।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित है रोबोट
बेंगलुरु के एक प्राइवेट स्कूल में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस तकनीक पर बने हुए रोबो्टस छात्रों को पढ़ाते हैं। ईगल 2.0 नाम का रोबोट छात्रों की फिजिक्स की क्लास लेता है। आपको बता दें कि ये रोबोट्स न केवल छात्रों को पढ़ाते हैं, बल्कि उनके द्वार पूछे जाने वाले सवालों के उत्तर भी देते हैं। इन रोबोट्स के डेवलपर का कहना है कि इनके होने से शिक्षक छात्रों को ज्यादा ध्यान देकर पढ़ा सकते हैं।
एक रोबोट को बनाने में लगे आठ लाख रुपये
रोबोट के चीफ डिजाइन ऑफिसर विग्नेश राव के अनुसार ये रोबोट 7वीं से लेकर 9वीं तक के 300 छात्रों को पांच अलग-अलग विषय पढ़ा सकते हैं। ये रोबोट बिल्कुल इंसानों जैसे ही दिखते हैं। इन रोबोट्स को फीमेल का लुक दिया गया है और इनकी आवाज भी फामेल की तरह ही है। बता दें कि एक रोबोट को बनाने में कम से कम आठ लाख रुपये की लागत आई है।
17 लोगों की टीम ने मिलकर बनाया रोबोट
ये रोबोट 7वीं से 9वीं तक के छात्रों की बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोग्राफी, हिस्ट्री और फिजिक्स जैसे विषयों की क्लास लेते हैं। इसके साथ ही रोबोट बनाने वाली टीम में कुल 17 लोग थे। टीम में टीचर्स, प्रोग्रामर, कंटेंट डेवलपर, ग्राफिक्स डिजाइनर्स शामिल थे। क्लास में पढ़ाते समय इंसानों जैसा व्यावहार करने के लिए रोबोट्स को हल्के थ्री-डी प्रिंटेड मटेरियल और स्मार्ट सर्वो मोटर से बनाया गया है। डेवेलपर्स के अनुसार इनको शिक्षकों की सहायता के लिए बनाया गया है।
दो साल का लगा समय
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 17 लोगों की टाम ने मिलकर ऐसे कुल तीन रोबोट बनाएं हैं। इन रोबोट का वजन 45 किलो है। इन रोबोट को बनाने में लगभग तीन साल का समय लगा था।