मध्य प्रदेश: पिता ने खेती और सिलाई कर पढ़ाया, बेटे ने डिप्टी कलेक्टर बनकर बदली किस्मत
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2020 में मनीष धनगर ने चौथी रैंक हासिल की। मनीष मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के छोटे से गांव खजुरिया कला के रहने वाले हैं। मनीष की सफलता बिल्कुल भी आसान नहीं रही, उन्हें यह मुकाम हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने साबित कर दिखाया कि संघर्ष आपको मजबूत बनाता है और सफलता की ओर ले जाता है। आइए उनकी सफलता की कहानी जानते हैं।
सरकारी स्कूल से की शुरुआती पढ़ाई
मनीष ने 5वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने मामा के घर रहकर आगे की पढ़ाई की। 2015 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने इंदौर के सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। 2018 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद वे परीक्षा की तैयारी करने जुट गए। मनीष ने कुछ दिनों तक कोचिंग की और उसके बाद स्वाध्याय में जुट गए। उन्होंने बहुत सीमित संसाधनों के बीच रहकर अपनी पढ़ाई की।
पिता करते थे खेती और सिलाई का काम
मनीष के परिवार में माता-पिता और 2 भाई हैं। उनका बचपन आर्थिक परेशानियों के बीच गुजरा। पिता ने खेती और सिलाई करके उन्हें पढ़ाया। इंदौर में पढ़ने के लिए जब पैसों की कमी आई तो मनीष के बड़े भाई वापस गांव लौट गए। उन्होंने खुद के भविष्य को नजरअंदाज कर मनीष को इंदौर में रहकर पढ़ाई करने का मौका दिया। कोरोना काल में जब पैसों की दिक्कत आई तो मनीष ने कोचिंग इंस्टीट्यूट में नौकरी करना शुरू कर दिया था।
दूसरे प्रयास में हासिल की सफलता
मनीष ने पहली बार 2019 में राज्य सेवा परीक्षा दी थी। वो पहले ही प्रयास में दोनों चरणों को पास कर इंटरव्यू तक पहुंचे थे। अभी इंटरव्यू का परिणाम नहीं आया है। नौकरी के साथ तैयारी करते हुए उन्होंने 2020 की परीक्षा दी और डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुए। मनीष ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और भाईयों को दिया है। उन्होंने कहा, "पिता और बड़े भाई ने बहुत संघर्ष किए। इसकी बदौलत ही मैं चयनित हो पाया।"
दोस्त ने बताया चौथी रैंक आई
जिस वक्त परीक्षा परिणाम आया, उस वक्त मनीष मॉक टेस्ट देकर घर लौटे थे। उनके दोस्त ने फोन कर बताया कि चौथी रैंक आई है। इस पर मनीष को विश्वास नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने दोबारा परिणाम देखा और फिर परिवार को इसकी जानकारी दी।
कैसे करते थे पढ़ाई?
मनीष ने बताया कि उनकी दिनचर्या बदलती रहती थी। जब परीक्षाएं नजदीक आती थी तब वे प्रतिदिन 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते थे। अन्य दिनों में वे प्रतिदिन 8 घंटे पढ़ाई करते थे। मनीष का फोकस प्रतिदिन लक्ष्य को पूरा करने और उत्तर लेखन का अभ्यास करने पर होता था। मनीष अपने दोस्तों के साथ छोटे से कमरे में रहते थे। उस माहौल में पढ़ाई करना मुश्किल होता था। ऐसे में वो पढ़ाई करने के लिए लाइब्रेरी जाते थे।
परिणाम से पहले ही दोस्त ने लिख दी थी शीर्ष 5 में आने की बात
मनीष दिन-रात पढ़ाई करते थे। 2019 परीक्षा का परिणाम के काफी समय तक अटके रहने के बाद भी उनके हौंसले कम नहीं हुए। उन्होंने उत्तर लेखन का अभ्यास जारी रखा और उत्साह से पढ़ाई करते रहे। मनीष की मेहनत को देख उनके दोस्त भी उनसे प्रभावित होते थे। एक दिन जब मनीष दुखी हुए तो उनके दोस्त ने एक कागज पर लिखा कि तुम्हारी शीर्ष 5 में रैंक आएगी। इस बात ने मनीष को आगे तैयारी के लिए प्रेरित किया।
मनीष की अभ्यर्थियों को सलाह
मनीष ने तैयारी कर रहे युवाओं को सलाह दी है कि मुख्य परीक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस करें। मुख्य परीक्षा के अंक आपके चयन और रैंक को प्रभावित करते हैं। ऐसे में लगातार उत्तर लेखन कीजिए। मनीष ने तय किया था कि इंदौर से खाली हाथ नहीं जाएंगे। इसके लिए उन्होंने सब कुछ छोड़कर मेहनत की और यह मुकाम हासिल किया। उन्होंने अभ्यर्थियों को सलाह दी है कि लगातार मेहनत करते हुए अपनी कमजोरियों पर काम करें। सफलता जरूर मिलेगी।
कई परीक्षाएं पास कर चुके हैं मनीष
मनीष इससे पहले राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC NET) पास कर चुके हैं। उन्होंने हाल में ही जारी हुए मध्य प्रदेश पटवारी परीक्षा परिणाम में भी सफलता पाई है। छात्र से अधिकारी बनने की यात्रा में मनीष ने अपनो दोस्तों को सच्चा साथी बताया।