ओपन बुक परीक्षण आयोजित करने की तैयारी में CBSE, जानें इसके बारे में सबकुछ
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) स्कूल शिक्षा में एक बड़े बदलाव की तैयारी में है। बोर्ड की ओर से कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिए ओपन बुक एग्जामिनेशन (OPE) आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बोर्ड ने इस साल के अंत में कुछ स्कूलों में अलग-अलग विषयों के लिए ओपन बुक परीक्षण आयोजित करने का प्रस्ताव दिया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
ओपन बुक परीक्षण क्या है?
ओपन बुक परीक्षण सामान्य परीक्षा से बेहद अलग होता है। इसमें उम्मीदवारों को परीक्षा के दौरान अपनी पाठ्यपुस्तकें, अध्ययन सामग्री और नोटबुक ले जाने की अनुमति होती है। छात्र परीक्षा के दौरान अध्ययन सामग्री को देख भी सकते हैं, जबकि सामान्य परीक्षाओं में उम्मीदवारों को अध्ययन सामग्री ले जाने और देखने की अनुमति नहीं होती। परीक्षा में शोध आधारित प्रश्न होते हैं। ऐसे में गहरी समझ रखने वाले और स्वयं से पढ़ने वाले विद्यार्थी ही सही उत्तर दे पाते हैं।
कितना चुनौतीपूर्ण होता है ओपन बुक परीक्षण?
इस मूल्यांकन पद्धति में परीक्षा के दौरान किताबें खोलने और उन्हें देखने की अनुमति होती है, लेकिन ये आम परीक्षाओं से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होती है। ओपन बुक परीक्षण में किसी उम्मीदवार की याददाश्त का परीक्षण नहीं होता, बल्कि संबंधित विषय को लेकर अवधारणाओं का विश्लेषण और लागू करने की क्षमता का मूल्यांकन होता है। ये केवल पाठ्यपुस्तकों की जानकारी उत्तर पुस्तिका में लिखने तक सीमित नहीं है। उम्मीदवारों को अपनी वैचारिक क्षमता और आलोचनात्मक सोच का प्रदर्शन करना होता है।
कब तक हो सकता है आयोजन?
सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड इस साल के अंत यानि नवंबर दिसंबर में ओपन बुक परीक्षण का आयोजन कर सकता है। बोर्ड ने कक्षा 9वीं-10वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान विषय और 11वीं-12वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और जीव विज्ञान विषय के लिए कुछ स्कूलों में इस तरह का परीक्षण का पायलट रन प्रस्तावित किया है। इसके अनुभव के आधार पर बोर्ड 9वीं से 12वीं तक के लिए सभी स्कूलों में मूल्यांकन के इस रूप को अपनाने पर विचार करेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय कर चुका है शुरुआत
CBSE द्वारा जून तक ओपन बुक परीक्षण के डिजाइन और विकास को पूरी करने की योजना बनाई गई है। बोर्ड दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से परामर्श लेगा। DU ने अगस्त 2020 में ओपन बुक परीक्षण की शुरुआत की थी। इसका काफी विरोध हुआ था। इसके बाद विश्वविद्यालय ने परीक्षा का सामान्य तरीका अपनाया। इससे पहले CBSE ने 2014-15 और 2016-17 में ओपन टेक्स्ट आधारित मूल्यांकन का प्रयोग किया था, लेकिन नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद इसे खत्म कर दिया गया था।
CBSE क्यों कर रही इस बदलाव की तैयारी?
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क की सिफारिश के अनुरूप CBSE कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए ओपन बुक परीक्षण आयोजित करना चाहता है। बीते साल इस प्रस्ताव पर विचार करते हुए बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने उच्च गुणवत्ता वाले पाठ्यपुस्तकें विकसित करने की सलाह दी थी। इसके अलावा समिति ने शिक्षकों को भी ओपन बुक परीक्षण में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। फिलहाल बोर्ड की ओर से सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।