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GST सुधार, बेहतर मानसून और महंगाई दर में कमी; RBI ने क्यों नहीं बदली रेपो रेट?
RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है

GST सुधार, बेहतर मानसून और महंगाई दर में कमी; RBI ने क्यों नहीं बदली रेपो रेट?

लेखन आबिद खान
Oct 01, 2025
01:59 pm

क्या है खबर?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। यह 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखी गई है। RBI गर्वनर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समीति (MPC) की बैठक में यह फैसला लिया गया। साथ ही RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। आइए जानते हैं RBI ने रेपो रेट में बदलाव क्यों नहीं किया।

GST

GST में सुधार हैं जिम्मेदार

22 सितंबर से वस्तु एवं सेवा कर (GST) की संशोधित दरें लागू हो गई हैं। रोजमर्रा की कई चीजों पर टैक्स कम हुआ है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा, "प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त को घोषित कई विकास-प्रेरक सुधारों, जिनमें GST को सुव्यवस्थित करना भी शामिल है के कार्यान्वयन से बाहरी चुनौतियों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की उम्मीद है। GST को युक्तिसंगत बनाने से कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।"

महंगाई

महंगाई में कमी आने का भी अनुमान

RBI ने खुदरा महंगाई के 3.1 से घटकर 2.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान जताया गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के लिए भी मुख्य मुद्रास्फीति को कम किया गया है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने कहा, "मुद्रास्फीति का रुख पूरी तरह से आरामदायक स्तर पर है, जिससे भविष्य में विकास को समर्थन देने के लिए नीतिगत गुंजाइश बन रही है।"

मानसून

बेहतर मानसून भी है वजह

देश में इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहा है। RBI गवर्नर ने कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून, मजबूत खरीफ बुवाई और जलाशयों में पानी के आरामदायक स्तर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है, जिससे कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग के लिए संभावनाएं मजबूत हुई हैं। RBI ने बताया कि सेवा क्षेत्र में तेजी और स्थिर रोजगार की स्थिति शहरी उपभोग के लिए आधार प्रदान कर रही है।

चिंताएं

RBI ने ये चिंताएं भी जताईं

RBI गवर्नर ने कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव और टैरिफ संबंधी अनिश्चितताएं खासतौर पर अमेरिका के साथ बाहरी मांग पर दबाव डाल सकती हैं। उन्होंने कहा, "निवेशकों की जोखिम-मुक्त भावनाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक तनाव और अस्थिरता विकास के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा करती है।" RBI ने कहा कि मौजूदा अनिश्चितताओं और टैरिफ चिंताओं से इस साल और उसके बाद दूसरी छमाही में विकास दर में कमी आने की संभावना है।

रेपो रेट

रेपो रेट क्या है रेपो रेट? 

RBI जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है। इस लोन पर बैंक जिस दर से RBI को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।