
क्या होती हैं 'सिन गुड्स' और सरकार इन पर ज्यादा टैक्स क्यों लगाती है?
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बड़े बदलाव किए हैं। GST में अब केवल 5 और 18 प्रतिशत की दर ही होगी। इसके अलावा 40 प्रतिशत की एक ऊंची दर भी लाई गई है, जो लग्जरी सामानों या 'सिन गुड्स' पर लगेगी। ये GST व्यवस्था में सबसे ऊंची दर है। आइए जानते हैं 'सिन गुड्स' क्या होती हैं और इन पर ज्यादा टैक्स क्यों लगाया जाता है।
'सिन गुड्स'
क्या होती हैं 'सिन गुड्स?'
'सिन गुड्स' वे उत्पाद होते हैं, जिन्हें स्वास्थ्य और समाज दोनों के लिए हानिकारक माना जाता है। इनमें तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट और मादक या मीठे पेय पदार्थ आते हैं। जुए को भी इस श्रेणी में रखा जाता है। कुछ विलासिता से जुड़ी चीजें या लग्जरी सामान भी इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे उत्पादों पर लगने वाले टैक्स को 'सिन टैक्स' या 'पाप टैक्स' कहा जाता है।
वस्तुएं
'सिन गुड्स' की श्रेणी में कौन-कौनसी वस्तुएं आती हैं?
पान मसाला, सिगरेट, गुटखा, चबाने वाला तंबाकू, तंबाकू वाला सिगार और तंबाकू के अन्य उत्पाद, कोल्डड्रिंक, कार्बोनेटेड पेय (फलों वाले भी), कैफीनयुक्त पेय, 1,200cc (पेट्रोल) या 1,500cc (डीजल) से बड़ी कारें, 350cc से ज्यादा ईंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलें, लग्जरी नौकाएं, निजी उपयोग के लिए विमान, रेसिंग कारें, ऑनलाइन जुआ और गेमिंग प्लेटफॉर्म इस दायरे में आते हैं। इन सभी पर 22 सितंबर से 40 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
वजह
'सिन गुड्स' पर ज्यादा टैक्स क्यों लगाती है सरकार?
ऐसी वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स लगाने का उद्देश्य स्वास्थ्य या सामाजिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले उत्पादों के इस्तेमाल को हतोत्साहित करना है। इन वस्तुओं पर जानबूझकर ज्यादा टैक्स लगाया जाता है, ताकि ये महंगी हो जाए और लोग इनका इस्तेमाल कम करें। इस टैक्स से प्राप्त हुई धनराशि कल्याणकारी योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और व्यसन उपचार कार्यक्रमों के लिए उपयोग की जाती है। भारत के अलावा दुनिया के कई देश 'सिन टैक्स' लगाती हैं।
वर्तमान टैक्स
अभी कितना 'सिन टैक्स' लगता है?
देश में सिगरेट पर फिलहाल 52.7 प्रतिशत, बीड़ी पर 22 प्रतिशत और चबाने वाले तंबाकू पर 63.8 प्रतिशत टैक्स लगता है। ऐसी ज्यादातर वस्तुओं पर पहले से ही 28 प्रतिशत GST और क्षतिपूर्ति उपकर अलग से लगता था, जिसके बाद प्रभावी टैक्स 40 प्रतिशत के आसपास हो जाता था। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सभी तंबाकू उत्पादों के खुदरा मूल्य पर कम से कम 75 प्रतिशत टैक्स लगाने का सुझाव देता है।