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#NewsBytesExplainer: अनिल अंबानी के पीछे क्यों पड़ी है ED? जानें फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा मामला
अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED ने फिर दस्तक दी है

#NewsBytesExplainer: अनिल अंबानी के पीछे क्यों पड़ी है ED? जानें फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा मामला

लेखन आबिद खान
Aug 01, 2025
11:52 am

क्या है खबर?

रिलायंस समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल अंबानी की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अनिल अंबानी के ठिकानों पर छापेमारी की है। ये मामला करोड़ों रुपये की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा हुआ है। वहीं, एक अलग धोखाधड़ी के मामले में ED ने अनिल को 5 अगस्त को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने को भी कहा है। आइए सारे मामले जानते हैं।

छापे

ओडिशा और कलकत्ता में क्यों मारे गए छापे?

ED ने 31 जुलाई की शाम अनिल की कंपनियों से जुड़े भुवनेश्वर में 3 और कोलकाता में एक ठिकाने पर छापा मारा है। भुवनेश्वर में मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों से जुड़े 3 परिसरों की तलाशी ली गई है। कोलकाता में एक सहयोगी या ऑपरेटर के परिसर पर छापेमारी हुई है। मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड कथित तौर पर फर्जी कंपनियों का नेटवर्क संचालित करने और कमीशन के बदले जाली बैंक गारंटी जारी करने के आरोप हैं।

मामला

फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा मामला क्या है?

अधिकारियों के अनुसार, बिस्वाल ट्रेडलिंक ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को एक फर्जी बैंक गारंटी जारी की थी, जिसका मूल्य 68.2 करोड़ रुपये था। इसके बदले बिस्वाल ट्रेडलिंक ने कथित तौर पर 8 प्रतिशत कमीशन लिया था। ED का कहना है कि इसी फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर अनिल की एक कंपनी को ठेका दिया गया था। ED के मुताबिक, रिलायंस ने इन कंपनियों को कमीशन देने के लिए फर्जी बिल इस्तेमाल किए थे।

तरीका

इस मामले में अनिल पर क्या-क्या आरोप हैं?

ED के मुताबिक, यह फर्जी बैंक गारंटी मेसर्स रिलायंस NU बेस लिमिटेड और मेसर्स महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड के नाम पर जारी की गई थी। ये दोनों रिलायंस समूह से जुड़ी हुई हैं। इस बैंक गारंटी को असली बताने के लिए रिलायंस समूह ने भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट का नकली डोमेन 's-bi.co.in' का इस्तेमाल किया। इस डोमेन का इस्तेमाल SECI को फर्जी ईमेल भेजकर धोखा देने के लिए किया गया था।

गड़बड़ियां

फर्जी बैंक गारंटी मामले में ED को ये गड़बड़ियां भी मिलीं

ED के अनुसार, बिस्वाल ट्रेडलिंक कंपनी केवल कागजों में थी। इसका पंजीकृत कार्यालय एक आवासीय संपत्ति है, जिस पर कंपनी का कोई वैधानिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। कंपनी के लोग मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर बात करते थे और 'डिसअपीयरिंग मैसेज' फीचर का इस्तेमाल करते थे, जिससे एक निश्चित समय बाद मैसेज अपने आप डिलीट हो जाते थे। ED का कहना है कि ये बातचीत का छिपाने के प्रयासों का संकेत है।

समन

अनिल को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए क्यों बुलाया गया है?

ED ने अनिल को 5 अगस्त को जो समन जारी किया है, वो 3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले से जुड़ा हुआ है। इस संबंध में ED ने पिछले हफ्ते अनिल के मुंबई और दिल्ली समेत 50 से ज्यादा कंपनियों और ठिकानों पर छापेमारी की थी और दर्जनों लोगों से पूछताछ की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इन छापेमारी का मकसद सबूत जुटाना था, जिसके बाद अब अनिल को समन जारी किया गया है।

घोटाला

3,000 करोड़ रुपये का लोन घोटाला क्या है?

दरअसल, रिलायंस समूह की कंपनियों को 2017-2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये का लोन मिला था। ED की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन लोन को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और समूह की अन्य इकाइयों में भेजा गया। अधिकारियों का कहना है कि लोन जारी करने से पहले यस बैंक के प्रवर्तकों से जुड़ी संस्थाओं को कुछ राशि मिली थी। ED को संदेह है कि ये बैंक अधिकारियों को मिली रिश्वत थी।