
ईरान-इजरायल युद्ध से कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ सकती है- गोल्डमैन सैक्स
क्या है खबर?
शुरू से ही आशंका जताई जा रही है कि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
अब वैश्विक वित्तीय फर्म और बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि पश्चिम एशिया में संघर्ष के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतें लगभग 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
अगर ऐसा होता है तो ब्रेंट 85 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर पहुंच जाएगा।
कीमत
संघर्ष बढ़ने पर 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है कीमत
फर्म ने कहा कि अगर संघर्ष बढ़ा और ईरान से तेल आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित हुई तो कच्चे तेल की कीमते संभवतः 90 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो सकती हैं।
गोल्डमैन ने कहा कि बाब अल-मंदेब जलडमरूमध्य जैसे रणनीतिक चोकपॉइंट के माध्यम से तेल परिवहन बाधित हो सकता है, जिसे पहले यमन के हूती विद्रोहियों ने निशाना बनाया था। इसके अलावा होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने पर भी चिंताएं जताई गई हैं।
अमेरिका
युद्ध में अमेरिका के शामिल होने से बढ़ा खतरा
युद्ध में अमेरिका के शामिल होने से जुड़ी अनिश्चितताओं ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे 2 हफ्ते में इस पर फैसला ले सकते हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि मैं युद्ध में शामिल हो भी सकता हूं और नहीं भी, कोई नहीं जानता कि मैं क्या करने वाला हूं।
ट्रंप के विरोधाभासी बयानों ने अनिश्चितता और बढ़ा दी है।
होर्मुज
होर्मुज जलडमरूमध्य बंद कर सकता है ईरान
ईरान ने कहा है कि वो होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने पर विचार कर रहा है।
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, वैश्विक तेल खपत का लगभग 20 प्रतिशत इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। रोजाना यहां से 2.1 करोड़ बैरल कच्चा तेल और 8 करोड़ टन प्राकृतिक गैस की आवाजाही होती है।
ईरान रोजाना 3.3 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये OPEC देशों में तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है।
संघर्ष
अगर संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैला तो क्या होगा?
जेपी मॉर्गन ने कहा कि सबसे खराब स्थिति में अगर संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैला और ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करता है तो तेल की कीमतें 120 से 130 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
वहीं, बार्कलेज ने चेतावनी दी कि अगर ईरान के आधे तेल निर्यात को रोक दिया गया, तो ब्रेंट 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। अगर युद्ध का दायरा बढ़ा तो कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।
बढ़ोतरी
युद्ध के बाद कैसे बढ़ी हैं कच्चे तेल की कीमतें?
13 जून को ईरान-इजरायल के बीच युद्ध शुरू हुआ था। तब से 19 जून तक तेल की कीमतों में लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 19 जून को ब्रेंट क्रूड 78.85 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जो जनवरी के बाद से इसका उच्चतम स्तर है।
हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि कीमतों में वृद्धि अल्पकालिक है, लेकिन लगातार बढ़ते हमले और अमेरिका की अनिश्चितता ने जोखिमों को बढ़ाया है।