अमेरिका के रिश्वतकांड से पहले इन विवादों में घिर चुके हैं गौतम अडाणी
भारतीय दिग्गज कारोबारी गौतम अडाणी फिर एक नए मामले में फंस गए हैं। अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने अडाणी पर निवेशकों से धोखाधड़ी और अनुबंध हासिल करने के लिए अरबों रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। इस मामले में अमेरिका की एक कोर्ट ने अडाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अडाणी इससे पहले हिंडनबर्ग समेत कई मामलों में फंस चुके हैं। आइए ऐसे मामलों के बारे में जानते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल खान का विरोध
अडाणी समूह ने ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में कारमाइकल कोयला खान परियोजना शुरू की थी। इस परियोजना को कानूनी तरीके से लेकर सड़कों तक पर विरोध हुआ था। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ग्रेट बैरियर रीफ और पर्यावरण पर इसके संभावित नुकसान को देखते हुए खूब विरोध किया था। इस खदान से 60 साल तक हर साल 6 करोड़ टन कोयले का निर्यात किया जाना है। हालांकि, 2021 से यहां से कोयले का खनन हो रहा है।
गोड्डा विद्युत संयंत्र का भी हुआ था विरोध
झारखंड के गोड्डा में अडाणी पावर ने 1,600 मेगावाट का बिजली संयंत्र स्थापित किया था। इससे बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति की जाती है। गोड्डा के मोतिया गांव में 700 एकड़ में 16,000 करोड़ रुपये की लागत से बने इस संयंत्र का स्थानीय लोगों ने खूब विरोध किया था। लोगों ने सरकार पर जबरन जमीन छीनने और हमला करने की बात कही थी। ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की थी।
श्रीलंका में 3,700 करोड़ की परियोजना पर मंडरा रहा खतरा
अडाणी समूह ने श्रीलंका के मन्नार और पुनरी में करीब 3,700 करोड़ रुपये की लागत से पवन ऊर्जा परियोजना के लिए समझौता किया था। इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों और मूल्य में पारदर्शिता को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया था। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने घोषणा पत्र में इस परियोजना को रद्द करने का वादा किया था। उनके राष्ट्रपति बनते ही इस परियोजना को पुनर्विचार के लिए डाल दिया गया है।
हिंडनबर्ग ने मचाया था तहलका
हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी, 2023 में अपनी रिपोर्ट में गौतम अडाणी पर कार्पोरेट जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में अडाणी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसे लेकर संसद से सड़क तक काफी हंगामा हुआ था। रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट हुई थी और निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे।
धारावी पुनर्विकास परियोजना पर भी घिर चुका अडाणी समूह
एशिया की सबसे बड़ी स्लम बस्ती मुंबई की धारावी की पुनर्विकास परियोजना का काम 2022 में अडाणी समूह को मिला था। इसका खूब विरोध हुआ और अडाणी पर बस्ती की जमीन हथियाने तक के आरोप लगे। उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया था कि अगर उनकी पार्टी सरकार में आती है तो धारावी पुनर्विकास परियोजना का टेंडर रद्द कर देगी। विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को खूब घेरा था।
अडाणी को छोड़नी पड़ी थी म्यांमार की बंदरगाह परियोजना
अडानी पोर्ट्स ने म्यांमार के यांगून में एक कंटेनर टर्मिनल बनाने के लिए म्यांमार सेना के नियंत्रण वाले एक समूह से लीज पर जमीन ली थी। 2019 में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) के करण अडाणी के म्यांमार सेना के वरिष्ठ जनरल मिन आंग हाइंग से मिलने की खबर के बाद यह परियोजना विवादों में आ गई थी। अमेरिकी प्रतिबंधों और म्यांमार में तख्तापलट के बाद 2023 में अडाणी समूह इस परियोजना से बाहर निकल गया था।
केन्या ने रद्द किया हवाई अड्डे से जुड़ा समझौता
अडाणी समूह ने केन्या के नैरोबी हवाई अड्डे के विकास के लिए 16,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था। इसके तहत, अडाणी समूह को 30 सालों तक हवाई अड्डे का प्रबंधन मिलने वाला था। केन्या में इस समझौते का खूब विरोध हुआ था। हवाई अड्डे के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। पिछले महीने केन्या के एक कोर्ट ने इस समझौते पर रोक लगा दी है। आज ही केन्या ने ये पूरा प्रस्तावित समझौता रद्द कर दिया है।