
इजरायल के खिलाफ क्यों ईरान की मदद नहीं कर रहा रूस? राष्ट्रपति पुतिन ने दिया जवाब
क्या है खबर?
ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध में रविवार को अमेरिका के भी शामिल होने के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है। कई देशों ने अमेरिका के कदम की आलोचना की है। इस बीच ईरान से घनिष्ठ संबंध होने के बाद भी रूस के उसकी मदद न करने की खासी चर्चा हो रही है। हालांकि, अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा है कि वह तटस्थ रहने का प्रयास कर रहे हैं।
जवाब
ईरान की मदद न करने के सवाल पर क्या बोले पुतिन?
सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि पूर्व सोवियत संघ और रूसी संघ के लगभग 20 लाख लोग वर्तमान में इजरायल में रहते हैं। यह आज लगभग रूसी भाषी देश है और, निस्संदेह हम रूस के समकालीन इतिहास में हमेशा इसे ध्यान में रखते हैं।" उन्होंने कहा, "यही कारण है कि हम इस संघर्ष में तटस्थ रहने का प्रयास कर रहे हैं।"
जवाब
पुतिन ने दिया आलोचकों को जवाब
पुतिन ने उन आलोचकों को भी जवाब दिया जिन्होंने रूस की अपने सहयोगियों के प्रति वफादारी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, "इस मामले में हमारी वफादारी पर सवाल उठाने वाले लोग उकसाने वाली प्रवृति के हैं। अरब देशों और इस्लामी देशों के साथ रूस के संबंध लंबे समय से मैत्रीपूर्ण रहे हैं। रूस की 15 प्रतिशत आबादी भी मुस्लिम है।" उन्होंने आगे कहा, "उनकी मैत्रीपूर्ण संबंधों से ही रूस इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में एक पर्यवेक्षक है।"
पेशकश
रूस ने की थी मध्यस्थता की पेशकश
पूर्व में राष्ट्रपति पुतिन ने ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम समझौते में मध्यस्थता करने की भी पेशकश की थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था, "मुझ पर एक अहसान करो, पहले यूक्रेन के साथ जारी तनाव में खुद मध्यस्थता करो।" दरअसल, उनका कहना था कि रूस को पहले यूक्रेन के खिलाफ जारी युद्ध को खत्म करने पर विचार करना चाहिए। उसके बाद वह इजरायल-ईरान युद्ध की चिंता कर सकते हैं।
संबंध
रूस और ईरान के बीच है घनिष्ठ संबंध
रूस और ईरान के बीच राजनीतिक और सैनिक संबंध उस समय विस्तारित हुए हैं जब सीरिया का संकट पराकाष्ठा पर पहुंच गया था। रूस और ईरान के बीच निकट मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण 2013 में दो महत्वपूर्ण करार भी हुए थे। इनमें सीरिया के द्वारा रसायनिक हथियारों को समाप्त करना और ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के 5 स्थायी सदस्यों (P5) और जर्मनी बीच नाभिकीय पाबंदी के संबंध में पक्षपातपूर्ण व्यवहार का विरोध करना शामिल था।
निंदा
रूस ने की है अमेरिकी हमले की निंदा
रूस के विदेश मंत्रालय ने ईरान पर अमेरिकी हमले की निंदा की है। मंत्रालय ने कहा, "किसी संप्रभु राज्य के क्षेत्र पर मिसाइल और बम हमले करना गैर-जिम्मेदाराना निर्णय है। इसके लिए कोई भी तर्क दिया जाए, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और UNSC के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है। हम स्थिति को राजनीतिक और कूटनीतिक रास्ते पर वापस लाने की परिस्थितियां बनाने के लिए प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान करते हैं।"
पृष्ठभूमि
अमेरिका ने किया 3 परमाणु ठिकानों पर हमला
अमेरिका ने ईरान और इजरायल संघर्ष में कूदते हुए ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। इन ठिकानों में नतांज, फोर्दो और इस्फहान शामिल है। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हमलों से तीनों परमाणु सुविधाओं बर्बाद हो गई हैं। अब ईरान को शांति कायम करनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो उस पर और बड़े हमले किए जाएंगे। इधर, ईरान ने इस हमले में मामूली नुकसान की बात कही है।