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तालिबान ने अफगानिस्तान में क्यों बंद किया इंटरनेट और इसके क्या सामने आ रहे परिणाम?
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने की इंटरनेट बंदी

तालिबान ने अफगानिस्तान में क्यों बंद किया इंटरनेट और इसके क्या सामने आ रहे परिणाम?

Sep 30, 2025
08:26 pm

क्या है खबर?

अफगानिस्तान सोमवार (29 सितंबर) से पूरी तरह डिजिटल अंधकार में डूब गया। तालिबान सरकार ने पूरे देश में इंटरनेट ब्लैकआउट घोषित कर दिया है। इससे पूरे देश में वायर्ड और मोबाइल दोनों सेवाएं बंद हो गई हैं। सितंबर की शुरुआत में इसे क्षेत्रीय प्रतिबंध के रूप में लागू किया गया था। तालिबान सरकार के इस फैसले से लाखों लोग आवश्यक ऑनलाइन सेवाओं से वंचित हो गए हैं। आइए इसके कारण और प्रभाव पर नजर डालते हैं।

शुरुआत

अफगानिस्तान में कैसे हुई थी इंटरनेट बंदी की शुरुआत?

अफगानिस्तान में इंटरनेट बंदी की शुरुआत 15 सितंबर को हुई थी। उस समय बल्ख, कुंदुज, बदख्शां, तखर और बगलान प्रांतों में तालिबान अधिकारियों ने हाई-स्पीड फाइबर-ऑप्टिक सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया था। इसके तुरंत बाद कंधार, हेलमंद, नांगरहार, उरुजगान, हेरात और परवान सहित अन्य प्रांतों में भी इंटरनेट बंद हुआ, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की। 16 सितंबर को बल्ख प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता अताउल्लाह जैद ने सार्वजनिक रूप से इसकी पुष्टि कर दी।

परेशानी

29 सितंबर को पूरे देश में बंद हुआ इंटरनेट

शुरुआत में प्रतिबंध केवल वायर्ड ब्रॉडबैंड पर केंद्रित थे, जिससे मोबाइल नेटवर्क का संचालन जारी रहा था। हालांकि, 29 सितंबर को शाम 5 बजे पूरे देश में वायर्ड और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। दो स्वतंत्र इंटरनेट ट्रैफिक विश्लेषण संगठनों, नेटब्लॉक्स और केंटिक द्वारा एकत्रित वास्तविक समय निगरानी डाटा के अनुसार, कनेक्टिविटी में तेजी से गिरावट आई और यह सामान्य स्तर के मात्र 14 प्रतिशत पर आ गई, जो लगभग पूर्ण शटडाउन का संकेत है।

इंटरनेट

कैसा है अफगानिस्तान का इंटरनेट बुनियादी ढांचा?

अफगानिस्तान का इंटरनेट बुनियादी ढांचा लगभग 9,350 किलोमीटर तक फैले राष्ट्रीय फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क पर आधारित है। यह प्रणाली देश के दूरसंचार क्षेत्र के आधुनिकीकरण की व्यापक योजना के भाग के रूप में अंतरराष्ट्रीय दाताओं और पूर्ववर्ती सरकारों के सहयोग से विकसित की गई थी। सरकारी स्वामित्व वाला अफगान टेलीकॉम इस नेटवर्क को नियंत्रित करता है। निजी मोबाइल वाहक और इंटरनेट प्रदाता सेवाओं के लिए इसी पर निर्भर हैं।

जानकारी

तालिबान सरकार ने कैसे सुनिश्चित की इंटरनेट बंदी?

तालिबान सरकार ने फाइबर लाइनों तक पहुंच को भौतिक रूप से काटकर इंटरनेट और टेलीफोन दोनों सेवाओं को प्रभावी रूप से बंद कर दिया है। देश के कई हिस्सों में मोबाइल और फिक्स्ड लाइन फोन कॉल एक ही फाइबर लाइन से होती है।

कारण

तालिबान सरकार के इंटरनेट बंदी करने का क्या है कारण?

तालिबान अधिकारियों ने नैतिकता की चिंताओं का हवाला देते हुए इंटरनेट बंदी को उचित ठहराया है। उनके आधिकारिक बयानों में इस उपाय को उन व्यवहारों पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्हें वे गैर-इस्लामी मानते हैं। इनमें पोर्नोग्राफी और पुरुषों और महिलाओं के बीच निजी ऑनलाइन बातचीत शामिल है। बल्ख के राज्यपाल के प्रवक्ता हाजी जैद ने कार्रवाई को अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया कदम बताया है।

प्रभाव

इंटरनेट बंदी का क्या हो रहा असर?

अचानक हुई इंटरनेट बंदी के गंभीर आर्थिक प्रभाव दिख रहे हैं। इससे इंटरनेट पर निर्भर छोटे व्यवसाय सबसे ज्यादा बाधित हुए हैं। कई उद्यमी ग्राहकों से संवाद करने, ऑर्डर संसाधित करने या भुगतान करने में असमर्थ हैं। ऑनलाइन बिजनेस पर आधारित कंधार में सबरीना हयात के नेतृत्व में संचालित हयात हस्तशिल्प अपने पारंपरिक कढ़ाई वाले वस्त्रों के ऑनलाइन ऑर्डर हासिल करने में असमर्थ हो गया है। इसी तरह अन्य ऑनलाइन व्यवसाय भी बाधित हो गए हैं।

खर्च

मोबाइल डाटा पैकेज का इस्तेमाल बढ़ा रहा परेशानी

ऑनलाइन बिजनेस से जुड़े उद्योगों को अब कार्य करने के लिए महंगे मोबाइल डाटा पैकेज पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इसने उनकी इंटरनेट लागत को तीन गुना बढ़ा दिया है। इंटरनेट के बिना देश के सभी सरकारी कार्यालय, बैंक और गैर-सरकारी संगठन अपने दैनिक कार्य और प्रशासनिक कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इंटरनेट के बंद होने से अफगानिस्तान वैश्विक बाजारों से और भी अलग-थलग पड़ जाएगा।

असर

महिलाओं पर पड़ा सबसे ज्यादा असर 

इंटरनेट बंदी का सर्वाधिक नुकसान वहां की महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। 2021 से तालिबान के लगातार जारी फरमानों ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से व्यवस्थित रूप से दूर कर दिया है। इन नीतियों के कारण अपनी नौकरी खो देने वाली कई महिलाओं ने अपनी आय के अंतिम स्रोत के रूप में ऑनलाइन काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब उन्हें अपना काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसका असर उनके परिवारों पर पड़ा है।

शिक्षा

महिलाओं की शिक्षा भी हुई बाधित

इंटरनेट बंदी के कारण महिलाओं की शिक्षा पर भी खासा असर पड़ा है। माध्यमिक विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में छात्राओं के लिए प्रवेश बंद होने के कारण कई युवतियों और महिलाओं ने पढ़ाई जारी रखने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का सहारा लिया है। यह नाजुक विकल्प अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। कंधार निवासी दावरानी ने बताया कि उनकी बेटियां लॉकडाउन के बाद से ऑनलाइन अंग्रेजी कक्षाएं ले रही थी, लेकिन अब वह भी बंद हो गई है।