#NewsBytesExplainer: अरब देश फिलिस्तीनी शरणार्थियों को पनाह देने से क्यों कतरा रहे?
क्या है खबर?
इजरायल-हमास युद्ध के कारण गाजा पट्टी में रह रहे फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय संकट खड़ा हो गया है।
एक तरफ इजरायल उन्हें दक्षिण की ओर जाने को कहता है तो दूसरी तरफ कोई उन्हें पनाह नहीं देना चाहता।
अरब देश खुलकर फिलिस्तीनियों के समर्थन में है, लेकिन जब उन्हें पनाह देने की बात आती है तो सभी मुंह मोड़ लेते हैं।
आइए जानते हैं कि ऐसी कौन-सी वजह है कि अरब देश फिलिस्तीनियों को पनाह देने से डर रहे हैं।
फिलिस्तीनी
इजरायल-हमास जंग में अरब देशों का क्या रुख है?
इजरायल-हमास युद्ध में अरब देश फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं और इजरायल को जंग रोकने की सलाह दे रहे हैं।
जब इजरायल ने गाजा पट्टी में मूलभूत सेवाओं की आपूर्ति रोक दी तो अरब लीग ने इसकी खूब आलोचना की थी और तुरंत इसे बहाल करें की अपील की।
मिस्र ने तो ये तक कह दिया कि ये युद्ध इजरायल का गाजा से स्थायी विस्थापन को पैदा करने के लिए है।
शरणार्थी
फिलिस्तीनियों के विस्थापन पर अरब देशों की क्या सोच?
अरब देशों को डर है कि इजरायल फिलिस्तीनियों को उनके देशों में स्थायी रूप से निष्कासित कर देगा और उनके लिए अलग देश की मांग का आधार शून्य हो जाएगा।
इसके अलावा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी कह चुके हैं कि बड़ी संख्या में पलायन के साथ हमास के उग्रवादी भी उसके सिनाई प्रांत में घुस कर अस्थिरता पैदा कर देंगे और इससे सीमाई इलाकों में हथियारों और लड़ाकों की तस्करी बढ़ जाएगी।
जानकारी
फिलिस्तीन के अन्य पड़ोसी अरब देशों ने क्या कहा?
इजरायल और वेस्ट बैंक की सीमा से सटे जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने भी इसी तरह का संदेश देते हुए कहा था कि जॉर्डन किसी शरणार्थी का स्वागत नहीं करेगा। लेबनान और सीरिया ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं।
पलायन
पहले से ही अरब देशों में रह रहे हैं फिलिस्तीनी शरणार्थी
1948 में इजरायल के गठन के बाद करीब 7 लाख से अधिक फिलिस्तीनी विस्थापित होकर वेस्ट बैंक, गाजा, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में बस गए। इस विस्थापन को नकबा के नाम से जाना जाता है।
1967 में अरब-इजरायल युद्ध में इजरायल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्जा किया तो करीब 3 लाख से अधिक फिलिस्तीनियों ने दूसरे देशों में शरण ली।
युद्ध खत्म होने बाद इजरायल किसी भी शांति समझौते में इनकी वापसी को लेकर सहमत नहीं हुआ।
समस्या
फिलिस्तीनी शरणार्थियों से परेशान हैं अरब देश
वर्तमान में करीब 60 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थी वेस्ट बैंक, गाजा, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, मिस्र खुद आर्थिक संकट से गुजर रहा है। पहले ही उसके यहां करीब 90 लाख शरणार्थी हैं। इस साल सूडान में युद्ध के दौरान 3 लाख शरणार्थी यहां बस गए।
लेबनान तो अपने यहां फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविरों में हो रहे हिंसक झड़पों से परेशान है। सितंबर में ही एक झड़प में लेबनान के 5 सैनिक घायल हुए थे।
वापसी
वापसी की कोई गारंटी नहीं
इजरायल ने कहा है कि युद्ध खत्म होने तक उत्तरी गाजा के लोग दक्षिण की ओर पलायन कर जाएं, लेकिन युद्ध के बाद क्या होगा? क्या इजरायल इन लोगों को वापसी करने देगा?
मिस्र के अलावा जॉर्डन में पहले ही बड़ी संख्या में शरणार्थी हैं और वो अब कोई खतरा नहीं लेना चाहते।
विस्थापित हुए लाखों शरणार्थी पहले से ही इन देशों में अपना जीवन शुरू कर चुके हैं, ऐसे में कोई गारंटी नहीं कि नए शरणार्थी वापस जाएंगे।
हमास
आतंकवाद भी एक वजह
मिस्र का कहना है कि गाजा से बड़े पैमाने पर फिलिस्तीनियों का पलायन हमास या अन्य फिलिस्तीनी आतंकवादियों को उसकी धरती पर खुलेआम पनपने का मौका देगा।
इससे गाजा पट्टी से लगने वाले मिस्र के सिनाई प्रांत में अस्थिरता पैदा हो सकती है, जहां मिस्र की सेना ने वर्षों तक इस्लामी आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।
अन्य देशों को भी इसी तरह का डर है और इस कारण भी वे फिलिस्तीनियों को शरण देने से कतरा रहे हैं।