
कौन हैं वो 5 जज, जिन्होंने तय किया कि डोनाल्ड ट्रंप को नहीं मिलेगा नोबेल पुरस्कार?
क्या है खबर?
वेनेजुएला की लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। हालांकि, कई बार खुद की दावेदारी कर चुके अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाथ खाली रह गए हैं। उन्हें कई देशों ने नामित भी किया था, इसके बावजूद ट्रंप को पुरस्कार नहीं मिला है। पुरस्कार के विजेताओं का चयन नॉर्वे की संसद से चुने गए 5 सदस्यों की एक समिति करती है। आइए इस समिति के बारे में जानते हैं।
समिति
सबसे पहले नोबेल समिति के बारे में जानिए
नोबेल समिति की स्थापना 1897 में नॉर्वे की संसद द्वारा की गई थी। इसका काम नोबेल शांति पुरस्कार के विजेताओं का चयन करना है। समिति के सदस्यों का चुनाव 6 साल के लिए होता है और इसमें संसद के वर्तमान सदस्य नहीं हो सकते। हालांकि, एक सदस्य दोबारा समिति का सदस्य हो सकता है। ये सदस्य अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से होते हैं। समिति अपने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चयन खुद करती है। नॉर्वेजियन नोबेल संस्थान के निदेशक इसके सचिव होते हैं।
अध्यक्ष
इस साल समिति का अध्यक्ष कौन है?
41 वर्षीय जॉर्गेन वाटने फ्राइडनेस इस साल नोबेल समिति के अध्यक्ष हैं। वे समिति के अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष भी हैं। वे मानवाधिकार वकील रहे हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले समूह PEN नॉर्वे के महासचिव भी रह चुके हैं और कई गैर-सरकारी संगठनों में काम कर चुके हैं। उन्हें नॉर्वे की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी का समर्थक माना जाता है। फ्राइडनेस की नियुक्ति 2021 में हुई थी और वे 2026 तक समिति के सदस्य रहेंगे।
उपाध्यक्ष
रुढिवादी नेता असले तोजे हैं समिति के उपाध्यक्ष
51 वर्षीय तोजे नोबेल समिति के उपाध्यक्ष हैं। वह 2018 से समिति के सदस्य हैं और दूसरी बार सदस्य चुना गया है। उन्हें एक रूढ़िवादी माना जाता है और वे समिति में शामिल होने से पहले नॉर्वेजियन नोबेल संस्थान में शोध निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं। तोजे एक लेखक भी हैं और उन्होंने 'द यूरोपियन यूनियन ऐज अ स्मॉल पावर: आफ्टर द पोस्ट-कोल्ड वॉर' नामक एक किताब भी लिखी है।
ऐनी एंगर
नॉर्वे की उपप्रधानमंत्री ऐनी एंगर भी हैं सदस्य
75 वर्षीय एंगर 2018 से समिति के सदस्य हैं और दूसरी बार चुनी गई हैं। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की है और कुछ समय तक अध्यापन का काम भी कर चुकी हैं। बाद में वे राजनीति में आ गईं और 1997 से 1999 तक नॉर्वे के संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख और उपप्रधानमंत्री भी रही हैं। 1998 में वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहीं और 1999 में कुछ समय के लिए पेट्रोलियम और ऊर्जा मंत्रालय की कार्यवाहक प्रमुख रहीं।
क्रिस्टिन क्लेमेट
समिति में और कौन-कौन हैं?
68 वर्षीय अर्थशास्त्री क्रिस्टिन क्लेमेट 2021 में समिति की सदस्य नियुक्त की गई थीं। वह नॉर्वे की कंजर्वेटिव पार्टी होयरे की सदस्य हैं। वह नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री कारे विलोच की 2 बार सलाहकार रह चुकी हैं और 2001 से 2005 तक शिक्षा मंत्री भी रही हैं। समिति में 49 वर्षीय ग्री लार्सन भी हैं, जो नॉर्वे के मानवीय संगठन केयर नॉर्वे की प्रमुख हैं। उन्हें 2024-2029 की अवधि के लिए समिति में नियुक्त किया गया है।