
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले ट्रंप भी दौड़ में, पोस्ट किया- 'शांति का राष्ट्रपति'
क्या है खबर?
नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा का सिलसिला चल रहा है। अभी तक चिकित्सा, भौतिक और रसायन विज्ञान के पुरस्कारों का ऐलान हो चुका है। इस बीच नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी दौड़ में शामिल हो गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी इच्छा प्रकट की है। व्हाइट हाउस ने गुरुवार को एक्स पर ट्रंप की तस्वीर के साथ 'शांति का राष्ट्रपति' लिखकर पोस्ट किया है, जिसकी चर्चा शुरू हो गई है।
इच्छा
पहले भी जता चुके हैं इच्छा
ट्रंप ने वर्जीनिया के क्वांटिको में रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा बुलाई गई एक हाई-प्रोफाइल सैन्य सभा में नोबेल शांति पुरस्कार की चाहत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें नोबेल पुरस्कार से वंचित किया गया, तो यह अमेरिका के लिए बहुत बड़ा अपमान होगा, वे इसे किसी ऐसे व्यक्ति को क्यों देंगे जिसने कुछ भी नहीं किया। इससे पहले उन्होंने तंज कसा था कि शायद नोबेल समिति उन्हें पुरस्कार न देने का कोई रास्ता निकाल लेगी।
दावा
ट्रंप 7 युद्ध रुकवाने के आधार पर कर रहे दावा
ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार की चाहत उसी दिन से दिखनी शुरू हो गई, जब उन्होंने 7 युद्ध को रुकवाने का दावा किया था। उन्होंने न्यूयॉर्क में 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भी इसका जिक्र किया। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने का भी दावा किया, लेकिन भारत ने हमेशा इससे इंकार किया। ट्रंप ने UNGA में कंबोडिया-थाईलैंड, कोसोवो-सर्बिया, कांगो-रवांडा, पाकिस्तान-भारत, इजरायल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया और आर्मेनिया-अजरबैजान युद्ध रुकवाने का दावा किया है। वे रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने की कोशिश में भी जुटे हैं।
ट्विटर पोस्ट
व्हाइट हाउस का पोस्ट
THE PEACE PRESIDENT. pic.twitter.com/bq3nMvuiSd
— The White House (@WhiteHouse) October 9, 2025
घोषणा
ट्रंप ने पुरस्कार घोषणा से पहले इजरायल-हमास युद्ध पर पोस्ट किया
राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले ही गुरुवार को इजरायल-हमास युद्ध शांति की घोषणा कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मुझे घोषणा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि इजरायल-हमास ने हमारी शांति योजना के पहले चरण पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब सभी बंधकों को जल्द रिहा किया जाएगा, इजरायल अपने सैनिकों को निश्चित सीमा तक वापस बुलाएगा, जो एक मजबूत, स्थायी और शाश्वत शांति की ओर पहला कदम होगा।'