
अमेरिका ने H-1B वीजा फीस बढ़ाने की वजह बताई, कहा- कंपनियां विदेशियों को प्राथमिकता दे रहीं
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए लगने वाली फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी की है। उन्होंने इसे करीब 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दिया है। उनके इस कदम का विरोध भी हो रहा है। अब ट्रंप ने फीस बढ़ोतरी के पीछे वजह बताई है। उन्होंने कहा कि कंपनियां गैर-अमेरिकियों को वीजा जारी कर अमेरिकियों को नौकरी से निकाल देती है। उन्होंने इसके कुछ उदाहरण भी दिए हैं।
वजह
अमेरिका ने कहा- कंपनियां अमेरिकियों की जगह विदेशियों को नौकरी दे रही
व्हाइट हाउस ने एक 'फैक्टशीट' जारी करते हुए बताया कि अमेरिकी श्रमिकों की जगह कंपनियां कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को तरजीह दे रही है। व्हाइट हाउस ने कहा कि H-1B वीजा वाले IT कर्मचारियों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2003 में 32 प्रतिशत से बढ़कर फिलहाल 65 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है। व्हाइट हाउस ने कहा कि कंप्यूटर विज्ञान स्नातकों के बीच बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत और कंप्यूटर इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए 7.5 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
कंपनियां
व्हाइट हाउस ने कंपनियों का उदाहरण भी दिया
व्हाइट हाउस ने बताया कि एक कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 5,189 H-1B वीजा कर्मचारियों को दिए और इसी साल 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। एक अन्य कंपनी ने 1,698 H-1B वीजा जारी किए और उसने जुलाई में 2,400 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की। इसी तरह एक तीसरी कंपनी ने 2022 से अब तक 27,000 अमेरिकी कर्मचारियों को निकाल दिया, जबकि उसे 25,075 H-1B वीजा जारी किए थे।
बयान
अमेरिका ने कहा- ट्रंप नौकरियां वापस लाने के लिए दिन-रात काम कर रहे
व्हाइट हाउस ने कहा, "मतदाताओं ने राष्ट्रपति ट्रंप को अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने के लिए जबरदस्त जनादेश दिया है। उन्होंने इसे पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियों को वापस लाने और अमेरिका में नए निवेश आकर्षित करने के लिए नए व्यापार समझौतों पर आक्रामक और सफलतापूर्वक बातचीत की है। जब से ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तब से सभी रोजगार लाभ अमेरिकी मूल के श्रमिकों को मिले हैं।"
भारत
72 प्रतिशत H-1B वीजा भारतीयों को मिले
इस कदम से भारतीय तकनीकी पेशेवरों पर व्यापक असर पड़ेगा, क्योंकि 72 प्रतिशत H-1B वीजा भारतीयों को मिलते हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि वो अमेरिकी फैसले के पूरे प्रभाव का भारतीय उद्योग सहित सभी संबंधित पक्षों द्वारा अध्ययन किया जा रहा है, और इस कदम के मानवीय परिणाम होने की संभावना है, क्योंकि इससे परिवारों पर असर हो सकता है। भारत ने कहा कि वो अमेरिका के साथ बेहतर परामर्श की उम्मीद कर रहा है।
वीजा
क्या होता है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां दक्ष कर्मचारियों को नौकरियां देती हैं। ये तकनीकी, वैज्ञानिक और व्यावसायिक विशेषज्ञता वाले पेशेवरों को दिया जाता है। ये वीजा 3 साल के लिए होता है और इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है। हर साल लाखों लोग इसके लिए आवेदन करते हैं, लेकिन लॉटरी के जरिए केवल 85,000 पेशेवरों को ही ये मिलता है। भारतीयों को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलता है।