
H-1B वीजा के लिए किसे देना होगा नया शुल्क? व्हाइट हाउस ने दी सफाई
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिन H-1B वीजा के लिए शुल्क में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की, जिसके बाद दुनियाभर में H-1B वीजा धारकों के बीच हलचल मच गई। अब व्हाइट हाउस ने इस नए नियम को लेकर सफाई दी है। प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक्स पर बताया है कि यह कोई वार्षिक शुल्क नहीं है बल्कि एकमुश्त भुगतान होगा। यह केवल नए वीजा पर लागू होगा, नवीनीकरण या पहले से जारी वीजा पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
भुगतान
कौन देगा नया शुल्क?
व्हाइट हाउस ने साफ किया कि नया 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) का शुल्क केवल नए H-1B वीजा आवेदकों पर लागू होगा। जिनके पास पहले से वीजा है, उन्हें यह शुल्क नहीं देना होगा और यह अगले लॉटरी चक्र से शुरू होगा। इस साल चयनित और 1 अक्टूबर से प्रभावी वीजा पर भी यह नहीं लगेगा। मौजूदा वीजा धारक अमेरिका आने-जाने के लिए पहले की तरह स्वतंत्र रहेंगे और उन्हें किसी अतिरिक्त शुल्क का सामना नहीं करना पड़ेगा।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें पोस्ट
To be clear:
— Karoline Leavitt (@PressSec) September 20, 2025
1.) This is NOT an annual fee. It’s a one-time fee that applies only to the petition.
2.) Those who already hold H-1B visas and are currently outside of the country right now will NOT be charged $100,000 to re-enter.
H-1B visa holders can leave and re-enter the…
तर्क
नई नीति और ट्रंप का तर्क
व्हाइट हाउस ने कहा है कि यह कदम अमेरिकी श्रमिकों को बचाने और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए लिया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें नए आवेदनों पर H-1B वीजा आवेदन के साथ 1 लाख डॉलर का भुगतान अनिवार्य किया गया। यह शुल्क आज से लागू होगा और 1 वर्ष के लिए प्रभावी रहेगा। सरकार अगर चाहे तो इस अवधि को बढ़ा सकती है। इस निर्णय से कई अप्रवासी कर्मचारी असमंजस में हैं।
चिंता
कंपनियों और कर्मचारियों की चिंता
माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और जेपी मॉर्गन जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों को अमेरिका में रहने की सलाह दी है। गोल्डमैन सैक्स ने भी कर्मचारियों से अंतरराष्ट्रीय यात्रा में सतर्क रहने को कहा है। फिलहाल H-1B वीजा पर आने वाला विदेशी कर्मचारी 215 डॉलर और नियोक्ता 780 डॉलर का शुल्क देता है। नई नीति लागू होने पर कुल खर्च कई गुना बढ़ सकता है, जिससे खासकर भारतीय IT कंपनियों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
असर
भारत में जताई गई चिंता
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस नीति पर चिंता व्यक्त की है। मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय परिवारों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है और मानवीय परिणाम ला सकता है। भारत ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी अधिकारी स्थिति का समाधान निकालेंगे। मंत्रालय ने बताया कि इस योजना का भारतीय उद्योग सहित सभी संबंधित पक्ष अध्ययन कर रहे हैं। गौरतलब है कि 70 प्रतिशत से अधिक H-1B वीजा धारक भारतीय हैं, जिन पर यह बदलाव सीधा असर डाल सकता है।
असर
भविष्य में संभावित असर
मिंट के अनुसार, अगर 5 प्रमुख भारतीय IT कंपनियां भविष्य में H-1B वीजा पर पहले जितने कर्मचारियों को अमेरिका भेजती हैं, तो उनका वीजा शुल्क बढ़कर करीब 120 अरब रुपये तक पहुंच सकता है। वर्तमान में वीजा आवेदन शुल्क काफी कम है, लेकिन नई नीति के चलते यह भारी वित्तीय बोझ साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका में IT और तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।