
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के ट्रंप टैरिफ के खिलाफ निर्णय देने के क्या होंगे परिणाम?
क्या है खबर?
वर्तमान में एशिया से लेकर यूरोप तक के देश अमेरिकी टैरिफ से जूझ रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार टैरिफ बढ़ाने की धमकियां दे रहे हैं। हालांकि, एक अमेरिकी फेडरल अपील कोर्ट ने ट्रंप के अधिकांश टैरिफ को गैरकानूनी बताते हुए उसे राष्ट्रपति के अधिकार का उल्लंघन बताया है। इसके बाद 4 सितंबर को ट्रंप प्रशासन ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के भी टैरिफ के खिलाफ निर्णय देने पर क्या होगा।
टैरिफ
ट्रंप ने कितने देशों पर लगाया टैरिफ?
बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने 180 से अधिक देशों पर 10-50 प्रतिशत तक के टैरिफ लागू किए हैं। इनमें भारत, चीन, कनाडा और ब्राजील जैसे देश भी शामिल हैं। भारत पर तो ट्रंप ने 27 अगस्त से 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है, जिसमें 25 प्रतिशत पारस्परिक और 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ है। इसी तरह ब्राजील पर 10 प्रतिशत पारस्परिक और 40 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ है। इन टैरिफों ने देशों का व्यापार बुरी तरह से प्रभावित किया है।
अवैध
फेडरल अपील कोर्ट ने टैरिफ को बताया अवैध
अमेरिकी फेडरल अपील कोर्ट ने 29 अगस्त को बहुमत के फैसले में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का उपयोग राष्ट्रपति को आपातकालीन टैरिफ लगाने को अधिकृत नहीं करता है। राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियां मिली हैं, लेकिन इनमें टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। ट्रंप ने टैरिफ लगाकर अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। हालांकि, कोर्ट ने आदेश के कार्यान्वयन को 14 अक्टूबर तक स्थगित किया है। ऐसे में टैरिफ अभी भी लागू हैं।
जानकारी
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार कोर्ट ने भी टैरिफ को बताया था गलत
28 मई को न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार कोर्ट ने भी टैरिफ नीतियों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा था कि राष्ट्रपति ने टैरिफ लागू करते समय अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया है। आपातकालीन शक्तियां टैरिफ लगाने की अनुमति नहीं देती हैं।
सवाल
क्या वास्तविकता में अवैध हैं ट्रंप के टैरिफ?
इंडिया टुडे के अनुसार, सर्कल ऑफ काउंसल्स के पार्टनर रसेल ए. स्टैमेट्स ने कहा, "यह मामला कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण का है। राष्ट्रपति ट्रंप ने सरकार की शाखाओं के बीच की पारंपरिक सीमाओं को तोड़ने और राष्ट्रपति के रूप में उन शक्तियों को अपने पास रखने की इच्छा दिखाई है। यह मामला बस उस दृष्टिकोण की वैधता का परीक्षण है। अपील कोर्ट के अनुसार IEEPA की शक्ति राष्ट्रपति की जगह कांग्रेस के पास है।"
असर
सुप्रीम कोर्ट के ट्रंप के खिलाफ फैसला देने पर क्या होगा?
स्टैमेट्स ने कहा, "यदि सुप्रीम कोर्ट निचली अदालतों के फैसले को बरकरार रखता है, तो IEEPA के तहत ट्रम्प के अधिकांश टैरिफ रद्द कर दिए जाएंगे। हालांकि, यह फैसला विभिन्न कानूनों के तहत लगाए गए शुल्कों को प्रभावित नहीं करेगा। जैसे कि धारा 232 शुल्क, जो राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के आधार पर लगाए जाते हैं या 301 शुल्क, जो विदेशी अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई के लिए लगाए जाते हैं। फैसले से आयातकों को तत्काल राहत मिलेगी।"
परेशानी
"...तो सरकार को देशों को वापस लौटाना होगा पैसा"
अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने NBC न्यूज से कहा है कि अगर, सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ फैसला देता है तो अमेरिका को टैरिफ से हुई अरबों डॉलर की कमाई को वापस करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा, "हमें लगभग आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो राजकोष के लिए भयानक होगा" इसका मतलब साफ है कि सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद भी अमेरिका को टैरिफ के रूप में अरबों डॉलर की कमाई हो जाएगी।
कारण
अमेरिका को क्यों करना होगा आधे ही टैरिफ का रिफंड?
वित्त मंत्री बेसेन्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निचली अदालतों के फैसले को बरकरार रखने के बाद टैरिफ वापस करने की योजना की विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा, "टैरिफ लौटाने के बजाय कई अन्य रास्ते हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है। इनमें धारा 232 और 301 के तहत लगाए गए शुल्क रखे जा सकते हैं। हालांकि, इससे राष्ट्रपति ट्रंप की तोल-मोल की ताकत कमजोर हो जाएगी। इसी तरह अमेरिका के राजकोष पर भी बड़ा असर दिखाई देगा।"
कमाई
अमेरिका ने टैरिफ से कितनी कमाई की?
एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने सिर्फ अगस्त में ही टैरिफ से करीब 31 अरब डॉलर (लगभग 2.72 लाख करोड़ रुपये) कमाए हैं। अगर, अमेरिका 50 प्रतिशत भी रिफंड करता है तो उसे 1.36 लाख करोड़ रुपये की कमाई होगी। बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट ने अपील दायर कर IEEPA के तहत लगाए गए टैरिफ को वैध ठहराने की मांग की है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सुनवाई की तारीख नहीं दी है।