अमेरिका के यूक्रेन-रूस शांति समझौते से जेलेंस्की को झटका? कीव को नहीं मिलेगा कब्जे वाला क्षेत्र
क्या है खबर?
अमेरिका ने पिछले 4 साल से चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध को समाप्त करने के लिए 28-सूत्रीय शांति समझौते का मसौदा तैयार कर लिया है। मसौदे को यूक्रेन की भागीदारी के बिना तैयार किया गया है, जबकि इसमें अमेरिका और रूस के विशेष दूत शामिल थे। इसमें कई ऐसी चीजें हैं, जिससे कीव को आपत्ति हो सकती है। हालांकि, अभी तक यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने इस पर अपना समर्थन और विरोध नहीं जताया है। प्रस्ताव से यूरोपीय नेता चिंतित हैं।
मसौदा
कीव को नहीं मिलेगा कब्जे वाला क्षेत्र
मसौदे में यूक्रेन को अपनी सैन्य शक्ति सीमित करने, लंबी दूरी की मिसाइल क्षमताओं को छोड़ने को कहा जाएगा। साथ ही उसे रूस के कब्जे वाला क्षेत्र वापस नहीं मिलेगा और न कीव उसे वापस लेने के लिए बल प्रयोग करेगा। मॉस्को को क्रीमिया और पूरे डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण की औपचारिक मान्यता मिलेगी और जब्त संपत्तियां बहाली होंगी। रूस की G-7 में वापसी भी होगी। समझौते की निगरानी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली शांति परिषद करेगी।
समझौता
मसौदे पर बातचीत शुरू होते ही युद्ध बंद होगा
मसौदे में रूस द्वारा यूक्रेन पर दोबारा हमला करने पर पश्चिमी देशों से सुरक्षा की पेशकश की गई है, लेकिन इसकी शर्तें मॉस्को के पक्ष में हैं। समझौते के तहत पहले युद्धविराम की रूपरेखा पर बातचीत होगी। चर्चा शुरू होने से पहले, दोनों पक्षों को सभी प्रमुख युद्ध अभियानों को रोकना होगा। रूस-यूक्रेन के बीच सीधी वार्ता अमेरिकी मध्यस्थता में होगी। वाशिंगटन केंद्रीय भूमिका निभाएगा। दोनों सेनाएं बड़े पैमाने के हमले, हवाई हमले और तोपखाने के हमले तुरंत बंद करेंगी।
श्रेणियां
अमेरिका और रूस के विशेष दूत तैयार कर रहे समझौता
यूक्रेन शांति समझौता की योजना पर राष्ट्रपति ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और रूसी दूत किरिल दिमित्रिएव काम कर रहे हैं। दिमित्रिएव रूस के संप्रभु धन कोष का संचालन करते हैं। योजना के 28 बिंदुओं को 4 सामान्य श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें यूक्रेन में शांति, सुरक्षा की गारंटी, यूरोप में सुरक्षा और रूस-यूक्रेन के साथ भविष्य में अमेरिका के संबंध शामिल है। मसौदे को लेकर जेलेंस्की जल्द ही ट्रंप से बात कर सकते हैं।
नाराजगी
यूरोपीय देशों में कड़ी नाराजगी
समझौता तैयार करने में यूक्रेन की भागीदारी न होने पर कीव और यूरोपीय देश चिंता में हैं। उनका मानना है कि शांति के किसी रोडमैप में युद्ध से सीधे प्रभावित लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। कई यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने कीव या ब्रुसेल्स को दरकिनार करते हुए कोई भी प्रस्ताव पेश करने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने तर्क दिया कि युद्ध का दंश झेलने वालों के बिना विकसित ढांचों पर स्थायी शांति का निर्माण नहीं हो सकता।