व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी मामला: पेगासस बनाने वाली कंपनी की हुई पड़ताल, ये बातें आईं सामने
क्या है खबर?
व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी का मामला सामने आने के बाद दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आए। ये नाम हैं- पेगासस और एनएसओ ग्रुप।
दरअसल, एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर से दुनियाभर में लगभग 1,400 लोगों की जासूसी की गई, जिनमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और बड़े सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
इसके बाद पेगासस और एनएसओ ग्रुप को लेकर लोगों में जिज्ञासा बढ़ गई है।
आइए, एनएसओ ग्रुप और पेगासस के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
मुख्यालय
तेल अवीव के पास स्थित है कंपनी का मुख्यालय
जी मीडिया ग्रुप के WION चैनल के रिपोर्टर ने इजरायल जाकर एनएसओ ग्रुप के बारे में विस्तार से पड़ताल की है। हम उनकी रिपोर्ट के आधार पर आपको एनएसओ से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं।
एनएसओ ग्रुप कंपनी का मुख्यालय इजरायल के तेल अवीव के नजदीक हर्जलिया नामक जगह पर मौजूद है।
लगभग 7,000 करोड़ रुपये के राजस्व वाली इस कंपनी के क्लाइंट दुनियाभर के 45 देशों में फैले हुए हैं।
राजस्व
पश्चिम एशिया से आता है कंपनी का आधा राजस्व
एनएसओ ग्रुप का संस्थापक इजरायल की सेना में रह चुका है। उसने इजरायल सेना की यूनिट 8200 में काम किया था।
खास बात यह है कि इजरायल में स्थित कंपनी के उन देशों से भी संबंध हैं, जिनके साथ इजरायल की सरकार के संबंध अच्छे नहीं है।
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इसके क्लाइंट हैं। कंपनी का आधा राजस्व पश्चिमी एशिया से आता है।
इसके अलावा कंपनी के यूरोपीय यूनियन के 21 सदस्य देशों से संपर्क हैं।
जानकारी
व्हाट्सऐप ने एनएसओ ग्रुप के खिलाफ किया है मुकदमा
बताया जा रहा है कि लोगों की जासूसी करने के लिए व्हाट्सऐप के जरिए पेगासस स्पाईवेयर उनके फोन में इंस्टॉल किया गया था। इसे लेकर व्हाट्सऐप ने एनएसओ ग्रुप पर उसके सर्वर के गलत इस्तेमाल के लिए अमेरिकी अदालत में मुकदमा दायर किया है।
जांच
एनएसओ ग्रुप ने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से बनाए व्हाट्सऐप अकाउंट
WION की पड़ताल में पता चला है एनएसओ ग्रुप ने जनवरी, 2018 से लेकर मई, 2019 के बीच वायरस वाले लिंक भेजने के लिए कई व्हाट्सऐप अकाउंट बनाए थे।
साइप्रस, इजरायल, ब्राजील, इंडोनेशिया, स्वीडन और नीदरलैंड समेत कई देशों में ये व्हाट्सऐप अकाउंट बनाने के लिए रजिस्टर्ड नंबरों का इस्तेमाल किया गया था।
हालांकि, एनएसओ ग्रुप ने जासूसी के पीछे होने के आरोपों से खंडन करते हुए कहा कि वह मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
पेगासस
कैसे काम करता है पैगासस स्पाईवेयर?
किसी टारगेट को मॉनिटर करने के लिए पेगासस ऑपरेटर उसके पास एक लिंक भेजता है। इस लिंक पर क्लिक होते ही यूजर के फोन में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल हो जाता है और यूजर को इसका पता भी नहीं चलता।
डाउनलोड होने के बाद पेगासस अपने ऑपरेटर की कमांड पर चलता है।
यह कमांड देने पर टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्सट मैसेज, वॉइस कॉल समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है।
इंस्टॉल
मिस्ड वीडियो कॉल से इंस्टॉल किया जा सकता है पेगासस
स्पाईवेयर की मदद से ऑपरेटर टारगेट के फोन का कैमरा और माइक्रोफोन भी ऑन कर सकता है, जिससे उसे टारगेट के आसपास की हलचलों का पता लग सकता है।
कई बार फोन में स्पाईवेयर डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक की भी जरूरत नहीं होती।
टारगेट को व्हाट्सऐप पर मिस्ड वीडियो कॉल मिलती है। अगर यूजर्स इस पर कोई रिस्पॉन्स भी नहीं देता है तब भी स्पाईवेयर उसके फोन में डाउनलोड हो जाता है।
पेगासस
इन ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर सकता है पेगासस
पेगासस के बारे में NSO ग्रुप का कहना है कि यह पासवर्ड प्रोटेक्टेड डिवाइस में घुस सकता है। यह बेहद कम बैटरी और डाटा का इस्तेमाल करता है और छिपा रहता है।
इसके चलते यूजर को यह भनक भी नहीं लगती कि उसके फोन में जासूसी की जा रही है।
यह स्पाईवेयर ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड, आईफोन और सिंबियन बेस्ड डिवाइस में काम कर सकता है। एंड्रॉयड आने के बाद अधिकतर सिंबियन डिवाइस बंद हो गए हैं।
जासूसी
भारत में भी जासूसी का शिकार हुए कई लोग
पिछले सप्ताह खबरें आई थीं कि पेगासस के जरिए लगभग दो दर्जन पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और वकीलों की जासूसी की गई है।
यह जासूसी मई महीने तक चली। गौरतलब है कि मई में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे।
इस जासूसी का शिकार महाराष्ट्र में मानवाधिकार के लिए काम करने वाली रूपाली जाधव भी हुईं।
उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर न्यूजबाइट्स से बातचीत की थी। उनकी यह बातचीत आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।