
ब्रिटेन का भारत को झटका, 'पहले निर्वासन, बाद में अपील' वाले देशों की सूची में जोड़ा
क्या है खबर?
यूनाइटेड किंगडम (UK) सरकार ने भारत को बड़ा झटका देते हुए उसे अपनी 'पहले निर्वासन, बाद में अपील' सूची में शामिल कर दिया है। इसमें कुल 23 देश हैं। इसके तहत विदेशी अपराधियों को निर्णय के खिलाफ अपील करने से पहले ही ब्रिटेन से निर्वासित कर दिया जाएगा। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा है कि सूची का दायरा तीन गुना बढ़ाया गया है। इसमें पहले 8 देशों के साथ भारत समेत 15 नए देशों को शामिल किया गया है।
परिणाम
भारतीयों के लिए क्या होंगे इसके परिणाम?
इस नीति के तहत अगर कोई भी भारतीय नागरिक या सूची में शामिल देशों के नागरिक ब्रिटेन में किसी भी अपराध के लिए दोषी पाया जाता है, तो उसे पहले निर्वासित किया जाएगा और उसके बाद अपील सुनी जाएगी। इन लोगों की अपील का निपटारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया जाएगा। ऐसे में दोषी विदेशी नागरिक अपने निर्वासन के फैसले के खिलाफ अपील करके न तो निर्वासन प्रक्रिया में देरी करा पाएगा और न ही ब्रिटेन में रह पाएगा।
बयान
गृह सचिव ने नीति को लेकर क्या दिया बयान?
PTI के अनुसार, ब्रिटेन के गृह सचिव यवेट कूपर ने कहा, "बहुत लंबे समय से विदेशी अपराधी हमारी आव्रजन प्रणाली का फायदा उठा रहे हैं। वह दोषी पाए जाने के बाद भी अपील के जरिए महीनों या सालों तक ब्रिटेन में रहते हैं। अब इस पर रोक लगाई जा रही है।" उन्होंने कहा, "हमारे देश में अपराध करने वालों को व्यवस्था में हेरफेर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, यही कारण है कि हम नियंत्रण बहाल कर रहे हैं।"
उद्देश्य
क्या है ब्रिटेन की इस नीति का उद्देश्य?
गृह सचिव ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य देश की जेलों से भीड़ को कम करना और देश में बढ़ते अपराधों को लेकर आम लोगों की चिंता को कम करना है। इस नीति के तहत निर्वासित लोगों को अपील से संबंधित सुनवाई में अपने मूल देश से ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग लिंक के जरिए भाग लेना होगा। हालांकि, आतंकवादी, हत्या के दोषी और आजीवन कारावास की सजा पाने वालों को निर्वासन से पहले देश में मिली सजा भुगतनी होगी।
सूची
सूची में किन-किन देशों को किया शामिल?
पहले इस सूची में फिनलैंड, नाइजीरिया , एस्टोनिया, अल्बानिया, बेलीज, मॉरीशस, तंजानिया और कोसोवो शामिल थे। अब विस्तारित सूची में भारत, अंगोला, ऑस्ट्रेलिया, बोत्सवाना, ब्रुनेई, बुल्गारिया, कनाडा, गुयाना, इंडोनेशिया, केन्या, लातविया, लेबनान, मलेशिया, युगांडा और जाम्बिया को भी शामिल किया गया है। ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, "हम उन देशों की संख्या बढ़ाने के लिए कूटनीतिक प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं जहां विदेशी अपराधियों को शीघ्र वापस भेजा जा सके और सुरक्षित रूप से अपील कर सकें।"
नियम
पहले क्या था नियम?
इस नीति से पहले संबंधित देशों के अपराधी मानवाधिकार कानूनों के तहत निर्वासन के खिलाफ अपील करते हुए महीनों या सालों तक ब्रिटेन में ही रह सकते थे। नई नीति में निर्वासित किए गए अपराधियों को दोबारा ब्रिटेन में प्रवेश करने से रोका जाएगा। हालांकि, अपने देश वापस लौटने के बाद वहां की सरकार पर निर्भर करेगा कि वह उसे रिहा करती है या अपराध के अनुसार जेल भेजती है। इसमें ब्रिटेन सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा।
निर्वासन
जुलाई 2024 से अब तक 5,200 विदेशियों को किया निर्वासित
ब्रिटेन सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2024 से अब तक लगभग 5,200 विदेशी नागरिकों को निर्वासित किया जा चुका है, जो पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। इस बीच, आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ब्रिटेन की जेलों में बंद कैदियों में विदेशी अपराधियों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत है और प्रति कैदी जेल की वार्षिक लागत औसतन 54,000 पाउंड (लगभग 63.18 लाख रुपये) है। नई नीति आम लोगों का टैक्स बचाएगी।
चेतावनी
प्रधानमंत्री स्टार्मर ने दी थी चेतावनी
इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने सोमवार को एक्स पर लिखा था, 'अगर, आप अवैध रूप से हमारे देश में प्रवेश करते हैं, तो आपको हिरासत में लिया जाएगा और वापस निर्वासित कर दिया जाएगा। अगर, आप इस देश में आते हैं और कोई अपराध करते हैं, तो हम आपको बिना किसी देरी के निर्वासित कर देंगे।' उन्होंने आगे लिखा, 'विदेशी अपराधी काफी लम्बे समय से ब्रिटेन की आव्रजन प्रणाली का फायदा उठा रहे हैं।'