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    अफगानिस्तान: तालिबान ने दर्जनों पूर्व अधिकारियों को उतारा मौत के घाट- संयुक्त राष्ट्र

    अफगानिस्तान: तालिबान ने दर्जनों पूर्व अधिकारियों को उतारा मौत के घाट- संयुक्त राष्ट्र
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 31, 2022, 03:57 pm 1 मिनट में पढ़ें
    अफगानिस्तान: तालिबान ने दर्जनों पूर्व अधिकारियों को उतारा मौत के घाट- संयुक्त राष्ट्र
    अफगानिस्तान: तालिबान ने दर्जनों पूर्व अधिकारियों को उतारा मौत के घाट- संयुक्त राष्ट्र

    अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने पुरानी सरकार, सेना और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षाबलों के साथ काम करने वाले दर्जनों अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रविवार को जारी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटरेस ने कहा कि पीड़ितों में से दो तिहाई से अधिक की कथित तौर पर तालिबान और उसके सहयोगियों ने हत्या की है।

    माफ करने की घोषणा के बाद भी हत्याएं कर रहा तालिबान- रिपोर्ट

    रिपोर्ट में बताया गया है कि पुरानी सरकार और अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के साथ काम करने वाले अधिकारियों को माफ करने की घोषणा के बाद भी तालिबान उनकी हत्याएं कर रहा है। ऐसी भी कई पुख्ता जानकारियां आ रही हैं कि तालिबान इन अधिकारियों के अपहरण और दूसरे तरीके की यातनाएं देने में भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र मिशन ने 44 अस्थायी गिरफ्तारियों, मारपीट और धमकी के 44 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से 42 में तालिबान पर आरोप लगे हैं।

    "मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर बना हुआ खतरा"

    गुटरेस ने कहा कि तालिबान, इस्लामिक स्टेट से जुड़े इस्लामिक स्टेट खोरासन (ISIS-K) और दूसरे संगठनों ने आठ नागरिक कार्यकर्ताओं की जान ली है। इसके अलावा दो पत्रकारों की भी हत्या की गई है और दो अन्य को चोटिल किया गया है। उन्होने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया कर्मियों को लगातार हमलों, शोषण, गिरफ्तारियां, दुर्व्यवहार और हत्याओं को सामना करना पड़ रहा है। तालिबान के कब्जे के छह महीने बाद भी स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

    दो करोड़ से अधिक लोगों के सामने खाद्य संकट- रिपोर्ट

    संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफगानिस्तान में मार्च, 2022 तक दो करोड़ से अधिक लोग खाद्य सुरक्षा के 'आपातकालीन' स्तर का सामना कर रहे हैं। पांच साल से कम उम्र के आधे बच्चों के सामने कुपोषण का संकट मंडरा रहा है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट के दौर से गुजर रही थी और तालिबान के कब्जे के बाद हालात और बदतर हो गए हैं। कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इस पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

    अगस्त में तालिबान ने किया था कब्जा

    तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा किया था। निर्वाचित सरकार के देश छोड़कर भागने के बाद तालिबान ने अपनी अस्थायी सरकार का ऐलान किया था। शुरुआत में तालिबान ने कहा था कि वह सरकार और अंतरराष्ट्रीय सेनाओं की मदद करने वाले लोगों के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं करेगा और उन्हें माफ कर दिया जाएगा, लेकिन अन्य वादों की तरह वह इस वादे पर भी खरा नहीं उतरा है।

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    तालिबानी सरकार ने कहा है कि वह अगस्त से बंद पड़े सरकारी विश्वविद्यालयों को अगले महीने से खोलने जा रही है। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि विश्वविद्यालयों में लड़कियों को आने की अनुमति मिलेगी या नहीं। फिलहाल यहां कुछ निजी विश्वविद्यालय खुले हैं, लेकिन अधिकतर में लड़कियां कक्षाओं में नहीं लौट पाई हैं। यही हाल स्कूलों का है। लगभग इलाकों में लड़कों के स्कूल खोल दिए गए है, लेकिन लड़कियों के लिए पाबंदियां जारी हैं।

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