ब्रिटेन: राजकीय सम्मान के साथ दफनाई गईं महारानी एलिजाबेथ, अंतिम प्रार्थना में शामिल हुए वैश्विक नेता
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को आज राजकीय सम्मान के साथ विंडसर किले में दफना दिया गया। ब्रिटेन के शाही परिवार के साथ-साथ तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष महारानी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और उन्होंने महारानी को श्रद्धांजलि दी। 1965 में पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के बाद लगभग 60 साल में ये ब्रिटेन में राजकीय सम्मान के साथ पहला अंतिम संस्कार था। कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबी तक निकाली गई अंतिम यात्रा
सबसे पहले महारानी एलिजाबेथ के ताबूत को गन कैरिज पर रखकर वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबी लाया गया। उन्हें उसी गन कैरिज पर ऐबी के लिए लाया गया, जिस पर उनकी पर-परदादी महारानी विक्टोरिया का ताबूत लाया गया था। हॉल से ऐबी तक की अंतिम यात्रा के दौरान 142 शाही नौसैनिकों और छह अधिकारियों ने कैरिज को चलाया। यात्रा की अगुवाई स्कॉटिश और आयरिश रेजिमेंट के बैंड-बाजों, गोरखा बिग्रेड और शाही वायुसेना के संगीतकारों ने की।
संसद चौक पर तीनों सेनाओं ने महारानी को दिया गार्ड ऑफ ऑनर
महारानी की अंतिम यात्रा संसद चौक से होकर गुजरी जहां तीनों सेनाओं के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान शाही मरीन का बैंड भी मौजूद रहा। अंतिम यात्रा के पूरे रास्ते में शाही नौसेना और शाही वायुसेना के जवान खड़े रहे।
ऐबी में पढ़ी गई अंतिम प्रार्थना, वैश्विक नेता रहे मौजूद
अंतिम यात्रा में महारानी के ताबूत के बाद किंग चार्ल्स और शाही परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे। वेस्टमिंस्टर ऐबी पहुंचने पर महारानी के लिए अंतिम प्रार्थना पढ़ी गई। इस दौरान तमाम वैश्विक नेता भी ऐबी में मौजूद रहे और उन्होंने भी महारानी की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। प्रार्थना के दौरान वो भजन भी गाया गया जो यहीं पर 1947 में महारानी की प्रिंस फिलिप के साथ शादी के मौके पर गाया गया था।
केवल परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में दफनाई गईं महारानी
प्रार्थना के बाद महारानी के ताबूत को पैदल यात्रा के जरिए लंदन के हाइड पार्क कॉर्नर के वेलिंग्टन आर्क लाया गया। इस दौरान हजारों लोगों ने अंतिम यात्रा को देखा। इसके बाद ताबूत को वाहन से विंडसर किले ट्रांसफर किया गया। यहां भी पैदल यात्रा के बाद किले के चर्च में अंतिम पारिवारिक कार्यक्रम किया गया और फिर केवल शाही परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में महारानी को उनके पति प्रिंस फिलिप के बगल में दफनाया गया।
भारतीय राष्ट्रपति समेत लगभग 5,00 विदेशी मेहमान हुए कार्यक्रम में शामिल
महारानी एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार में कुल 2,000 मेहमान शामिल हुए। इनमें विभिन्न देशों के लगभग 500 प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विदेशी प्रतिनिधि भी शामिल हैं। राष्ट्राध्यक्षों की बात करें तो भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ-साथ न्यूजीलैंड, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और फ्रांस, ब्राजील, श्रीलंका, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और तुर्की आदि देशों के राष्ट्रपति कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके अलावा ब्रिटेन का शाही परिवार और तमाम बड़े ब्रिटिश नेता भी अंतिम संस्कार में मौजूद रहे।
8 सितंबर को हुआ था महारानी एलिजाबेथ का निधन
8 सितंबर को 96 साल की उम्र में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का निधन हो गया था। वो पिछले कई महीनों से बीमार थीं और उन्होंने स्कॉटलैंड के बाल्मोरल महल में अंतिम सांस ली। इससे पहले उनकी हालत को देखते हुए उन्हें चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया था और उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर डॉक्टरों ने भी चिंता जताई थी। एलिजाबेथ 1952 में गद्दी पर बैठी थीं और उन्होंने सबसे अधिक 70 साल तक ब्रिटेन की राजशाही सत्ता को संभाला।
महारानी के निधन के बाद महाराजा बने किंग चार्ल्स
महारानी के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स (अब किंग चार्ल्स) ब्रिटेन के नए महाराजा बन गए हैं। वो ब्रिटेन की शाही गद्दी पर बैठने वाले सबसे बुजुर्ग राजा होंगे। किंग चार्ल्स के नाम सबसे अधिक समय तक उत्तराधिकारी रहने का रिकॉर्ड भी है।