
ट्रम्प का दावा, प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर पर मध्यस्थता करने के लिए कहा, भारत का इनकार
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को दावा किया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा था।
ट्रम्प ने ये बात पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में कही जो अमेरिका के 3 दिवसीय दौरे पर हैं।
हालांकि भारत ने ट्रम्प के इस दावे को झूठा बताया है और कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया।
भारत हमेशा कश्मीर पर मध्यस्थता के खिलाफ रहा है।
जानकारी
इमरान और ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में की प्रेस से बात
व्हाइट हाउस में ट्रम्प और इमरान ने प्रेस के सामने विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिनमें से एक मुद्दा कश्मीर का था। कश्मीर पर एक सवाल के जवाब मे इमरान ने कहा कि वह भारत के साथ वार्ता के लिए ट्रम्प का समर्थन चाहते हैं।
कश्मीर विवाद
इमरान ने कहा, सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका कर सकता है विवाद का समाधान
इमरान ने कहा, "अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है। वो उपमहाद्वीप में शांति लाने में अहम योगदान दे सकता है। उपमहाद्वीप में 125 करोड़ लोग हैं, जिन्हें कश्मीर के मुद्दे पर बंधक बनाया हुआ है। मेरा मानना है कि ट्रम्प के नेतृत्व में सबसे शक्तिशाली देश दोनों देशों को पास ला सकता है।"
इमरान ने कहा कि उन्होंने अपनी ओर से कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ वार्ता की भरपूर कोशिश की है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
मध्यस्थता
ट्रम्प का दावा, मोदी ने कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कहा
इसके जवाब में ट्रम्प ने कहा, "मैं दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था। हमने इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं मध्यस्थ बनना चाहूंगा? मैंने पूछा- कहा? उन्होंने कहा- कश्मीर। क्योंकि ये काफी सालों से चल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि वो इसे सुलझाना चाहते हैं। मुझे लगता है कि तुम भी इसे सुलझाना चाहते है। अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मध्यस्थत बनकर मुझे अच्छा लगेगा।"
बयान
"कश्मीर में सालों से जारी है भयानक स्थिति"
अपनी बात जारी रखते हुए ट्रम्प ने कहा, "इसका समाधान होना चाहिए। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) ने भी मुझसे यही कहा... मैं उनसे बात करूंगा और देखेंगे कि क्या हो सकता है।"
कश्मीर के बारे में बात करते हुए ट्रम्प ने कहा, "मैंने कश्मीर के बारे में काफी कुछ सुना है। बेहद सुंदर नाम और जगह। लेकिन अभी वहां हर जगह केवल बम हैं। कहीं भी आप जाइए, वहां बम हैं। ये एक भयानक स्थिति है जो सालों से जारी है।"
प्रतिक्रिया
भारत ने खारिज किया ट्रम्प का दावा
ट्रम्प के बयान की संवेदनशीलता और इस पर राजनीतिक हंगामे के आसार को देखते हुए भारत ने इसे तत्काल खारिज कर दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा, "हमने प्रेस को दिए गए अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को देखा कि अगर भारत और पाकिस्तान कहते हैं तो वह कश्मीर पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है।"
भारत का पक्ष
"द्विपक्षीय वार्ता से ही होगा पाकिस्तान के साथ हर मुद्दे का समाधान"
रवीश ने अपने ट्वीट में कश्मीर की समस्या का समाधान पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता के जरिए करने के भारत के रवैये को दोहराया।
उन्होंने कहा, "भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय वार्ता होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता के लिए सीमा पार आतंक का अंत करने की जरूरत है। शिमल समझौता और लाहौर घोषणा भारत और पाकिस्तान के सभी मुद्दों को द्विपक्षीय तौर पर सुलझाने का आधार प्रदान करते हैं।"
ट्विटर पोस्ट
विदेश मंत्रालय ने किया साफ, आतंक खत्म होने के बाद ही होगी कोई बात
...that all outstanding issues with Pakistan are discussed only bilaterally. Any engagement with Pakistan would require an end to cross border terrorism. The Shimla Agreement the Lahore Declaration provide the basis to resolve all issues between India Pakistan bilaterally.2/2
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) July 22, 2019
पाकिस्तान का मकसद
कश्मीर विवाद का अंतरराष्ट्रीयकरण चाहता है पाकिस्तान
बता दें कि भारत हमेशा पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों, खासकर कश्मीर, को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाने की अपनी स्थिति पर कायम रहा है।
वहीं, पाकिस्तान बार-बार अमेरिका या चीन जैसे देशों को कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कहता रहा है।
जब भी कोई समस्या होती है, वह कश्मीर के मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास पहुंच जाता है।
उसका मकसद कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करना है, जोकि भारत नहीं चाहता।