
नेपाल माउंट एवरेस्ट में बर्फीले तूफान में फंसे पर्वतारोहियों को बचाने में कैसे कर रहा संघर्ष?
क्या है खबर?
नेपाल इस समय बड़ी प्राकृतिक परेशानियों से जूझ रहा है। एक तरफ देश भूस्खलन, बिजली गिरने और भारी बारिश से आई बाढ़ का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ माउंट एवरेस्ट की ढलानों पर आए एक बर्फीले तूफान में 1,000 से ज्यादा लोग फंस गए हैं। बचावकर्मी खड़ी ढलानों पर बने पर्यटक शिविरों में फंसे पर्वतारोहियों तक पहुंचने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं। आइए जानते हैं नेपाल को बचाव अभियान में कैसे संघर्ष करना पड़ रहा है।
तूफान
एवरेस्ट पर आया बर्फीला तूफान
शुक्रवार (3 अक्टूबर) की शाम को कर्मा घाटी में बर्फबारी शुरू हो गई, जो एवरेस्ट के पूर्वी भाग की ओर जाती है। एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले अधिकतर पर्वतारोही इसी मार्ग को चुनते हैं। शनिवार को बर्फीला तूफान तेज हो गया, जिससे सड़कें और रास्ते पूरी तरह बंद हो गए। स्थानीय टिंगरी काउंटी पर्यटन कंपनी के अनुसार, भारी बर्फबारी के कारण एवरेस्ट के दर्शनीय क्षेत्र में टिकटों की बिक्री और प्रवेश को भी अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है।
परेशानी
तूफान के कारण ढलानों में फंसे सैकड़ों पर्वतारोही
बर्फीले तूफान के कारण सैकड़ों पर्वतारोही एवरेस्ट की ढलानों पर फंस गए। तिब्बत की ब्लू स्काई रेस्क्यू टीम को मदद के लिए फोन आया, जिसमें कहा गया कि भारी बर्फबारी के कारण टेंट गिर गए हैं और कुछ पर्वतारोही हाइपोथर्मिया से पीड़ित हैं। सुरक्षित नीचे आने वाले पर्वतारोही एरिक वेन ने रॉयटर्स से कहा, "हर दिन बारिश और बर्फबारी हो रही थी और हम एवरेस्ट बिल्कुल नहीं देख पाए। हम 10 लोग कुछ टेंटों में बहुत मुश्किल से सो पाए।"
बयान
बहुत अधिक था हाइपोथर्मिया का खतरा
एक अन्य पर्वतारोही चेन गेशुआंग ने कहा, "पहाड़ों में बहुत अधिक नमी और ठंड थी। इसी तरह हाइपोथर्मिया का खतरा बहुत अधिक था। इस साल मौसम सामान्य नहीं है। गाइड ने बताया था कि अक्टूबर में उसने ऐसा मौसम पहले कभी नहीं देखा था। और यह सब अचानक ही हुआ।" उन्होंने आगे कहा, "हम सभी अनुभवी पर्वतारोही हैं, लेकिन इस बर्फीले तूफान से निपटना फिर भी बेहद मुश्किल था। मैं खुशकिस्मत थी कि बाहर निकल पाई।"
संघर्ष
बचावकर्मी बचाव अभियान में कैसे कर रहे संघर्ष?
चीनी सरकारी मीडिया जिमू न्यूज के अनुसार, माउंट एवरेस्ट के उत्तरी भाग पर बेस कैंप के ठीक नीचे लगभग 1,000 पर्वतारोही फंसे हुए हैं। शनिवार से ही पैदल यात्रियों और उनके गाइडों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव कार्य जारी था। हालांकि, लगातार भारी बर्फबारी और तेज हवाओं के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है। अब तक 350 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि 200 अन्य से संपर्क स्थापित हो चुका है।
अभियान
तिब्बत क्षेत्रीय सरकार चला रही बचाव अभियान
बताया जा रहा है कि तिब्बत क्षेत्रीय सरकार ने समन्वित खोज एवं बचाव अभियान चलाया है और प्रभावित शिविरों तक जाने वाली बर्फ से अवरुद्ध सड़कों को दोबारा खोलने के लिए भारी मशीनरी भेजी है। तूफान में फंसे एक पर्वतारोही की पत्नी ने BBC से कहा, "बचावकर्मियों के लिए भी यह आसान नहीं है। उन्हें रास्ता बनाने के लिए बर्फ हटानी पड़ती है। मेरे पति बर्फ में दबने के डर से रात में मुश्किल से सो पाते हैं।"
खतरा
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के क्या खतरे हैं?
माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहियों के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। हालांकि, इसमें कई जोखिम भी हैं। दरअसल, माउंट एवरेस्ट पर अब तक कुल 330 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकतर हिमस्खलन या गिरने से हुई हैं। चक्कर आना, उल्टी और सिरदर्द जैसे लक्षणों वाली तीव्र पर्वतीय बीमारी भी कई मौतों का कारण बनी है। आंकड़ों के अनुसार, 200 से अधिक शव आज भी बरामद नहीं हुए हैं। इतनी ऊंचाई पर शवों को छोड़ देना आम बात है।
मौसम
मौसम की मार से भी जूझ रहा है नेपाल
बचाव दल माउंट एवरेस्ट से पर्वतारोहियों को नीचे लाने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं तो दूसरी ओर नेपाल भूस्खलन और बाढ़ से भी जूझ रहा है। प्राकृतिक आपदा में अब तक 64 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों के अनुसार, राजधानी काठमांडू को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राजमार्ग अवरुद्ध हैं और उड़ानें बाधित हैं। कोशी प्रांत में भूस्खलन से घर बह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो चुकी है।