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कैसे नेपाल में Gen-Z के विरोध के सामने 24 घंटे में गिरी केपी ओली सरकार?
नेपाल में युवाओं के विरोध के आगे धराशाही हो गई केपी शर्मा ओली की सरकार

कैसे नेपाल में Gen-Z के विरोध के सामने 24 घंटे में गिरी केपी ओली सरकार?

Sep 09, 2025
05:31 pm

क्या है खबर?

नेपाल इस समय गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरी Gen-Z के हिंसक प्रदर्शन के आगे झुकते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को महज 24 घंटे के बीच मंगलवार दोपहर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। देश में सोमवार से शुरू हुए इस प्रदर्शन में 19 युवाओं की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हैं। आइए इस पूरे घटनाक्रम पर एक नजर डाल लेते हैं।

शुरुआत

कैसे हुई विरोध की शुरुआत?

दरअसल, नेपाल सरकार ने गत 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में सूचना और संचार मंत्रालय में पंजीयन न कराने को लेकर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। युवाओं ने इस निर्णय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया। नागरिक समाज समूहों और विपक्षी नेताओं ने सरकार पर भ्रष्टाचार और जन विरोधी नीतियों पर असहमति की आवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

हिंसक

कैसे हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन?

Gen-Z ने 8 सितंबर को देश के विभिन्न शहरों में विरोध मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। इस दौरान राजधानी काठामांडू में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर संसद भवन परिसर में घुसने का प्रयास किया। जवाब में सेना और पुलिस आंसू गैस के गोले दागे, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और गोली भी चलाई। इसमें 19 युवाओं की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हैं। उसके बाद इस प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया।

असर

देशभर में फैली विरोध प्रदर्शन की आग

सरकार के खिलाफ युवाओं के इस उग्र प्रदर्शन की आग पूरे देश में फैल गई। यही कारण रहा कि सरकार ने काठमांडू, बीरगंज, भैरहवा, बुटवल, पोखरा, इटहरी और दमक जैसे प्रमुख जिलों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए। इसी तरह 9, 10 और 11 सितंबर के लिए होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। कई शहरों में स्कूल भी बंद करने का फैसला लिया गया।

दबाव

कैसे हुई सरकार पर दबाव की शुरुआत?

विरोध प्रदर्शन के बीच सोमवार रात को प्रधानमंत्री ओली की मौजूदगी में हुई कैबिनेट की बैठक में गृह मंत्री रमेश लेखक ने मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दिया। इससे सरकार पर दबाव बनना शुरू हो गया। इसके बाद देर रात करीब 2 बजे सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को भी वापस ले लिया। इसके बाद सरकार को प्रदर्शन के थमने की उम्मीद जगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इस्तीफा

मंगलवार को 4 और मंत्रियों ने दिए इस्तीफे

सरकार की उम्मीद के विपरीत मंगलवार को प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़ गए। इसके बाद कृषि और पशुधन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी, पानी आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव समेत 4 और मंत्रियों ने इस्तीफे सौंप दिए। इस बीच नेपाल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग तेज कर दी। इसी तरह राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने भी सामूहिक इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। इससे सरकार पर दबाव बढ़ गया।

दबाव

प्रदर्शनकारियों ने लक्षित हमले कर सरकार पर दबाव बढ़ाया

प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को लक्षित हमलों की रणनीति से सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्रयास किया। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली, राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, संचार मंत्री सुब्बा गुरुंग, विदेश मंत्री अर्जु राणा देउबा, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और शेर बहादुर देउबा के आवास समेत नेपाली कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के आवासों पर हमला कर आगजनी कर दी। उपप्रधानमंत्री विष्णु प्रसाद पैडोल को काठमांडू में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया है। इससे प्रधानमंत्री ओली पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया।

आग

संसद भवन समेत कई प्रमुख इमारतों को लगाई आग

इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसकर कई जगह आग लगा दी और शहरों में प्रमुख सरकारी इमारतों में भी तोड़फोड़ कर हिंसक प्रदर्शन किया। मजबूरन में सरकार में शामिल नेताओं को सुरक्षा के लिए सेना से मदद मांगनी पड़ी। काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने गंभीर सुरक्षा खतरे का हवाला देकर परिचालन बंद करना पड़ा। बुद्ध एयर सहित घरेलू विमानन कंपनियों ने भी अपनी सेवाएं निलंबित कर दी। इससे पूरा देश कुछ ही देर में ठप हो गया।

निर्णय

प्रधानमंत्री ओली ने कैसे लिया इस्तीफा देने का निर्णय?

प्रधानमंत्री ओली ने तनाव कम करने के अंतिम प्रयास में राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और बातचीत से समाधान निकालने की अपील की। इसके बाद उन्होंने सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल से संपर्क कर व्यवस्था बहाल करने और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैन्य सहायता मांगी। इस पर सिगडेल ने उनके इस्तीफा देने के बाद ही स्थिति संभालने की बात कही। इसके बाद प्रधानमंत्री ओली ने उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।

सवाल

ओली के इस्तीफे के बाद आगे क्या?

ओली के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति ने अगली सरकार पर काम शुरू कर दिया है। अगर ओली की पार्टी के समर्थन के बिना नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार नहीं बनती, तो संसद को भंग किया जा सकता है। इसके बाद नए चुनाव होंगे। वर्तमान में ओली की पार्टी CPN-UML के पास 79, नेपाली कांग्रेस 88, जनता समाजवादी पार्टी (JSP) 7, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) 4, जनमत पार्टी 6, CPN-माओवादी 32 और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) की 20 सीटें हैं।