फ्रांस: गर्भपात बनेगा संवैधानिक अधिकार, विधेयक को मिली संसद की मंजूरी
जल्द ही फ्रांस में महिलाओं को गर्भपात एक संवैधानिक अधिकार के तौर पर मिल जाएगा। फ्रांस की संसद के उच्च सदन ने इससे जुड़े एक विधेयक को पारित कर दिया है। अब अगले हफ्ते इस विधेयक को संसद के संयुक्त सत्र में पेश किया जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन जाएगा। बता दें कि पिछले साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने का वादा किया था।
विधेयक के पक्ष में 267, विपक्ष में 50 वोट वोट पड़े
विधेयक के पक्ष में 267 और विपक्ष में 50 वोट पड़े। कुछ कंजर्वेटिव सदस्यों ने विधेयक का विरोध किया। उनकी आपत्ति प्रस्तावित कानून में 'स्वतंत्रता' शब्द की जगह 'अधिकार' शब्द इस्तेमाल करने से थी। सदस्यों का कहना था कि कानून के जरिए महिलाओं को गर्भपात की स्वतंत्रता देनी चाहिए, न कि अधिकार। इस संबंध में कुछ सदस्य संसद में एक प्रस्ताव भी लेकर आए थे, जिसे खारिज कर दिया गया।
सरकार महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध- मैक्रों
मैक्रों ने विधेयक पारित होने के बाद कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के गर्भपात के अधिकार को संविधान में शामिल करके इसे अपरिवर्तनीय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, 'सोमवार को अंतिम मतदान के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा। हमे चाहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-34 में संशोधन किया जाए, ताकि यह निर्दिष्ट किया जा सके कि कानून उन शर्तों को निर्धारित करता है, जिनके द्वारा महिलाओं को गर्भपात की स्वतंत्रता की गारंटी दी जाती है।'
अमेरिका में गर्भपात पर फैसले के बाद बना कानून
फ्रांस ये कानून अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया था। जून, 2022 में 'रो बनाम वेड' मामले में कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलट दिया था, जिसके बाद अमेरिका में महिलाओं को गर्भपात के लिए मिला संवैधानिक अधिकार छीन लिया गया था। फ्रांस ने गर्भपात की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए संविधान में ही संशोधन का कदम उठाया है।
फ्रांस में पहले से ही कानूनी है गर्भपात
1975 में फ्रांस ने गर्भपात पर लगी रोक को हटा दिया था। 2022 में संसद ने गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए कानूनी सीमा को 12 से बढ़ाकर 14 सप्ताह तक कर दिया है। इसके अलावा विशेष मामलों में डॉक्टर की सलाह, भ्रूण और महिला की स्थिति को ध्यान में रखकर भी कई प्रावधान किए गए हैं। 2020 की एक संसदीय रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस में हर 4 में से एक गर्भावस्था को गर्भपात द्वारा समाप्त कर दिया जाता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में गर्भपात के लिए 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट बनाया गया। इसके तहत महिला को 20 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत थी। 2021 में हुए बदलाव के बाद ये समयसीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई। 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत दे दी। हालांकि, विशेष मामलों में डॉक्टर की सलाह और महिला या गर्भ में पल रहे बच्चे की परिस्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है।