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पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को 5 साल की जेल, गद्दाफी से धन लेने का आरोप
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को लीबिया के तानाशाह गद्दाफी से धन प्राप्त करने पर 5 साल की सजा

पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को 5 साल की जेल, गद्दाफी से धन लेने का आरोप

लेखन गजेंद्र
Sep 25, 2025
06:07 pm

क्या है खबर?

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी (70) को लीबिया से जुड़े अवैध धन से संबंधित मामले में आपराधिक षड्यंत्र का दोषी पाया गया है। सरकोजी पर चुनाव के लिए लीबिया के दिवंगत तानाशाह नेता कर्नल मुअम्मर गद्दाफी से राजनयिक लाभों के बदले लाखों यूरो लेने का आरोप था। पेरिस की आपराधिक कोर्ट ने उनको 5 साल जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने उनको निष्क्रिय भ्रष्टाचार और अवैध अभियान वित्तपोषण सहित अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया।

घटना

क्या है मामला?

BBC के मुताबिक, सरकोजी पर 2007 के अपने चुनाव अभियान के लिए गद्दाफी से प्राप्त 50 मिलियन यूरो (लगभग 450 करोड़ रुपये) धन उपयोग करने का आरोप था। 2011 में फ्रेंच न्यूज साइट मीडियापार्ट ने दस्तावेज लीक किए। गद्दाफी के बेटे सैफ अल-इस्लाम ने भी आरोप लगाया। इसके बाद 2013 में जांच शुरू हुई। लेबनानी व्यवसायी जियाद ताकीदीन (फ्रांस-मध्य पूर्व का बिचौलिया) ने भी लिखित प्रमाण होने और सरकोजी को राष्ट्रपति बनने के बाद भुगतान जारी रहने की बात कही।

इतिहास

लगातार आरोपों से मुकर रहे थे सरकोजी

फ्रांस के इतिहास में यह पहला मामला है, जब किसी पूर्व राष्ट्रपति या अन्य व्यक्ति द्वारा खुद को लगातार बेगुनाह बताने के बाद सजा हुई है। सरकोजी को पेरिस की जेल में भेजा जा सकता है। सरकोजी आगे अपील भी करते हैं, तो भी उन्हें जेल में ही रहना होगा। उन्हें 100,000 यूरो (93.50 लाख रुपये) का जुर्माना भी भरना होगा। वर्ष 2007 से 2012 तक फ्रांस के राष्ट्रपति रहे सरकोजी लगातार आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे थे।

समझौता

सरकोजी और गद्दाफी के बीच भ्रष्टाचार का समझौता

सरकोजी पर आरोप था कि उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 2005 में गद्दाफी शासन के साथ भ्रष्टाचार का समझौता किया था। सरकोजी से धन के बदले में गद्दाफी की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारने के लिए राजनयिक, कानूनी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने की अपेक्षा थी। आरोपों में 2007 में गद्दाफी की पेरिस की राजकीय यात्रा भी शामिल थी। सरकोजी 1980 के बाद गद्दाफी का स्वागत करने वाले पहले पश्चिमी नेता थे।