#NewsBytesExplainer: मिस्र ने इजरायल को कौन-सा समझौता तोड़ने की धमकी दी और इसका क्या असर पड़ेगा?
क्या है खबर?
इजरायल-हमास युद्ध जारी है और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के निर्देश पर इजरायली बलों ने अब दक्षिणी गाजा पट्टी में स्थित राफा शहर में सैन्य ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
इस बीच खबरें हैं कि मिस्र इजरायल के साथ हुए अपने शांति समझौते को तोड़ सकता है। हालांकि, मिस्र आधिकारिक तौर पर इससे इनकार कर रहा है।
आइए जानते हैं कि यह समझौता क्या है और यदि यह टूटता है तो दोनों देशों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
चेतावनी
क्यों कही जा रही शांति समझौते पर खतरे की बात?
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के अधिकारियों ने इजरायल को राफा से लगे उसके सिनाई प्रांत में हमले करने को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो वह दोनों देशों के दशकों पुराने शांति समझौते को तोड़ देगा।
हालांकि, स्काई न्यूज अरबी की रिपोर्ट के अनुसार, उसके विदेश मंत्री शौकरी ने कहा, "मिस्र और इजरायल के बीच शांति समझौता है, जो पिछले 40 वर्षों से प्रभावी है और आगे भी जारी रहेगा।"
समझौता
कब हुआ था समझौता?
1967 में अरब-इजरायल युद्ध में इजरायल ने वेस्ट बैंक समेत कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। इनमें मिस्र का सिनाई प्रांत भी शामिल था।
लगभग 11 साल तक ये हिस्सा इजरायल के पास ही रहा, लेकिन सितंबर, 1978 में मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर अल-सदात ने अरब नेताओं से नाता तोड़कर इजरायल के साथ 'कैंप डेविड समझौता' कर दिया।
इससे 1979 में हुए इजरायल-मिस्र शांति संधि की नींव रखी गई और सिनाई प्रांत मिस्र के पास वापस आया।
कैंप डेविड
कैंप डेविड समझौता क्या था?
कैंप डेविड समझौते में 2 अलग-अलग समझौते शामिल थे। इनमें मध्य-पूर्व में शांति के लिए एक रूपरेखा तय करना और मिस्र और इजरायल के बीच शांति संधि के लिए एक रूपरेखा तैयार करना शामिल थे।
मैरीलैंड स्थित तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के आराम स्थल कैंप डेविड में इन समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे और वहीं से इन्हें अपना नाम मिलता है।
इसी समझौते से गुस्साये मिस्र के चरमपंथियों ने बाद में राष्ट्रपति सदात की हत्या कर दी थी।
सहमति
शांति समझौते में क्या था?
26 मार्च, 1979 को हुई इजरायल-मिस्र शांति संधि के तहत 1982 में इजरायल ने सिनाई प्रांत को मिस्र को वापस कर दिया। इजरायल ने यहां से अपनी सेना को भी वापस बुलाया लिया।
इसके बदले उसके जहाजों को प्रमुख व्यापार मार्ग स्वेज नहर से गुजरने की अनुमति दी गई।
इसके साथ ही मिस्र ने इजरायल के खिलाफ सैन्य दखल न करने का वादा किया था।
मिस्र इजरायल के साथ शांति बहाल करने वाला पहला अरब देश बना था।
असर
शांति समझौता टूटने का इजरायल पर क्या असर पड़ेगा?
इस संधि के कारण इजरायली बल मिस्र से ध्यान हटा अन्य खतरों पर ध्यान केंद्रित कर सके हैं।
वर्तमान में इजरायल गाजा पट्टी के साथ-साथ लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह के साथ भी मोर्चा संभाले हुए है।
इजरायली सुरक्षा बल कब्जे वाले वेस्ट बैंक में भी भारी संख्या में तैनात हैं।
यदि मिस्र समझौते को कर देता है तो मिस्र की मजबूत सेना निस्संदेह पहले से ही कमजोर रूप से फैली हुई इजरायली सेना को चुनौती दे सकती है।
प्रभाव
शांति समझौता टूटने का मिस्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है?
मिस्र पर भी इसका गंभीर असर पड़ सकता है। इस शांति समझौते के बाद से मिस्र को अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता मिली है। यदि समझौता रद्द हो जाता है तो इससे इस फंडिंग पर खतरा मंडरा सकता है।
इसके अलावा बड़े पैमाने पर सैन्य जमावड़े से मिस्र की पहले से ही संघर्षरत अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ेगा।
इसके अलावा इजरायल मिस्र के इलाकों को निशाना बना सकता है, जो उसके लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है।