कोरियाई महिला ने इलाज के लिए नहीं दिया अपना लिवर, पति ने ठोक दिया मुकदमा
क्या है खबर?
जब हमारे परिवार के किसी सदस्य की जान पर बनती है तो हम उन्हें बचाने की हर कोशिश करते हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसा ही कुछ दक्षिण कोरिया के एक व्यक्ति के साथ हुआ, जिनकी पत्नी ने उन्हें अपने लिवर का हिस्सा देने से मना कर दिया। इससे नाराज हो कर व्यक्ति ने अपनी पत्नी पर मुकदमा ठोक दिया। आइए इस मामले को विस्तार से जानते हैं।
मामला
व्यक्ति को हुई लिवर की दुर्लभ बीमारी
3 साल पहले इस जोड़े की शादी हुई थी और उनके 2 बच्चे हुए थे। पिछले साल की सर्दियों में व्यक्ति को प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस हो गया था, जो लिवर की एक दुर्लभ बीमारी है। डॉक्टर ने परिवार वालों को तुरंत उनका लिवर ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी थी। इसके बिना वह केवल एक साल ही जीवित रह पाते। उनके इलाज के लिए उनके माता-पिता ने अपना घर बेच दिया, जबकि उनकी पत्नी पूरी लगन से उनकी देखभाल करती रहीं।
जांच
पत्नी बन सकती थीं सबसे उत्तम डोनर
डॉक्टर ने व्यक्ति की जांच करवाई, जिससे उम्मीद की एक किरण नजर आई। दरअसल, उनकी पत्नी की HLA (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) कम्पैटिबिलिटी 95 प्रतिशत से ज्यादा थी, जिससे वह लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सबसे सही उम्मीदवार बन गई थीं। खुश हो कर व्यक्ति ने अपनी पत्नी से सर्जरी करवाने के लिए आग्रह किया। हालांकि, पूरा परिवार तब दंग रह गया, जब पत्नी ने अपने लिवर का हिस्सा देने से इंकार कर दिया।
प्रतिक्रिया
व्यक्ति को पत्नी के इंकार से पहुंची ठेंस
पत्नी ने बताया कि उन्हें सुई और नुकीली वस्तुएं से डर लगता है, जिस वजह से वह सर्जरी नहीं करवा सकतीं। इससे व्यक्ति आग-बबूला हो गया और अपनी पत्नी को खरी-खोटी सुनाने लगा। उन्होंने कहा, "मेरी देखभाल करने का क्या फायदा? तुम तो बस मुझे मरते हुए देखना चाहती हो। इससे अच्छा तुम मुझे मार ही क्यों नहीं देती?" व्यक्ति के माता-पिता ने भी पत्नी पर खूब दबाव बनाया था, ताकि वह डोनर बनने के लिए राजी हो जाएं।
शक
व्यक्ति को इलाज के बाद हुआ था पत्नी पर शक
व्यक्ति की खुशकिस्मती थी कि समय रहते उन्हें एक डोनर मिल गया, जिसका मस्तिष्क काम नहीं करता था। तुरंत उनका लिवर ट्रांसप्लांट करवाया गया और कुछ ही समय में वह ठीक भी हो गए। इलाज के बाद व्यक्ति ने अपनी पत्नी के दावों की जांच शुरू की। सामने आया कि वह पहले अपेंडिसाइटिस की सर्जरी करवा चुकी थीं और बिना किसी परेशानी के ब्लड टेस्ट भी करवाती आई थीं। नाराज हो कर उन्होंने सीधा अपनी पत्नी से बात की।
तलाक
पत्नी ने मानी बहाना बनाने की बात
सवाल किए जाने पर पत्नी ने आखिरकार यह माना कि उन्होंने ट्रांसप्लांट न करवाने के लिए बहाना दिया था। उन्होंने कहा, "मेरा असली कारण सर्जरी से जुड़े जोखिमों का गहरा डर और यह चिंता थी कि अगर मुझे कुछ हो गया, तो हमारी 2 छोटी बेटियां बिना मां के रह जाएंगी।" यह जानकर व्यक्ति को ऐसा महसूस हुआ कि उन्हें धोखा मिला है। गुस्से में उन्होंने तलाक लेने का फैसला किया और उन पर दुर्भावनापूर्ण परित्याग के आरोप लगाए।
फैसला
पत्नी के पक्ष में सुनाया गया फैसला
मुकदमे की सुनवाई के दौरान, अदालत ने पति के बजाय पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने कहा, "अंगदान व्यक्तिगत शारीरिक स्वायत्तता का मामला है और किसी को इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, यहां तक कि पति-पत्नी को भी नहीं।" फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि व्यक्ति के दबाव और मौखिक दुर्व्यवहार ने उनकी शादी में भरोसे की नींव को कमजोर कर दिया था। इसकी वजह से पत्नी ने सहायता से इंकार किया था।