
दुनिया में अब तक खोजे गए सबसे दुर्लभ जीवाश्म, जिनका रहस्य आपको कर देगा हैरान
क्या है खबर?
जीवाश्म विज्ञानी विभिन्न प्रकार के जीवाश्म खोजने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। ज्यादातर जीवाश्म विज्ञानी डायनासोर के जीवाश्मों की खोज करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, जाने अनजाने उन्हें कई अनोखे और दुर्लभ जीवों के जीवाश्म भी मिल जाते हैं। इन सभी के जरिए कई रहस्यों की गुत्थी खुल जाती है और नए जीवों के बारे में अहम जानकारी मिलती है। आइए दुनिया के 4 सबसे दुर्लभ जीवाश्मों के बारे में जानते हैं।
#1
मछली के फेफड़े का जीवाश्म
फरवरी 2021 में वैज्ञानिकों को मछली की एक नई प्रजाति मिली थी, जो सदियों पहले विलुप्त हो गई थी। उन्हें इस मछली के फेफड़े का जीवाश्म मिला था। इसके जरिए सामने आया कि यह मछली विशाल सफेद शार्क जितनी बड़ी थी। इसे कोइलाकैंथ कहा जाता है, जिसके फेफड़े का जीवाश्म करीब 6.6 करोड़ साल पुराना है। यह अनोखा जीवाश्म मोरक्को में खोजा गया था। फेफड़े को हुए नुकसान से पता चलता है कि इसे किसी प्लेसियोसॉर मछली ने मारा होगा।
#2
बिना सींघ वाले विशाल गैंडे का जीवाश्म
2021 में चीन में शोधकर्ताओं को एक 26.5 करोड़ साल पुराना जीवाश्म मिला था। यह एक बिना सींघ वाले विशाल गैंडे का जीवाश्म था। पैरासेराथेरियम लिनक्सियान्स नाम के इस गैंडे की लंबाई 6 फीट और ऊंचाई 16.4 फीट थी। इसका वजन 24 टन हुआ करता था, जो चार अफ्रीकी हाथियों के बराबर है। इस गैंडे को दुनिया के सबसे विशाल जानवरों में से एक माना जाता है। शोधकर्ता इस जानवर की हड्डियों के आकार को देखकर हैरान रह गए थे।
#3
अमर केकड़े का जीवाश्म
एम्बर एक कठोर, पीले रंग का पदार्थ होता है, जो लाखों सालों में प्राचीन वृक्षों के रस से बनता है। इसके अंदर कई बार जानवर रह जाते हैं और जीवाश्म में तब्दील हो जाते हैं। 2021 के अक्टूबर महीने में शोधकर्ताओं को एक अनोखा एम्बर मिला था, जिसके अंदर एक केकड़ा मौजूद था। इससे यह केकड़ा अमर हो गया यानि उसका शरीर सदियों से उसी अवस्था में है, जैसा पहले हुआ करता था।
#4
टुली राक्षश का जीवाश्म
टुली राक्षश का जीवाश्म अब तक खोजा गया सबसे दुर्लभ जीवाश्म है। यह स्ट्रिप खदानों में माजोन क्रीक संरचना में पाया गया था, जो लगभग 30 करोड़ साल पुराना है। इसे 1955 में शौकिया जीवाश्म शिकारी फ्रांसिस टुली ने खोजा था। यह एक लंबे कीड़े का जीवाश्म था, जिसकी डंठल जैसी आंखें, छोटे दांतों वाली लंबी सूंड और पूंछ के पास पंख हुआ करते थे। सदियों तक इस जीव की पहचान कर पाना मुश्किल हो गया था।