
अरुणाचल प्रदेश में पहली बार देखी गई पल्लास बिल्ली, तस्वीरों के जरिए लगा मौजूदगी का पता
क्या है खबर?
भारत कई प्रजातियों वाले अनोखे जानवरों का घर है, जो अलग-अलग राज्यों में पाए जाते हैं। इसी बीच अब अरुणाचल प्रदेश में एक खास तरह का जानवर देखा गया है। हम बात कर रहे हैं पल्लास बिल्ली की, जिसे मनुल भी कहा जाता है। राज्य में एक वन्यजीव सर्वेक्षण किया जा रहा था, जिसके दौरान यहां पहली बार इस जानवर की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। फोटोग्राफिक साक्ष्य यानि तस्वीरों के जरिए पल्लास बिल्ली को देखा गया है।
सर्वेक्षण
किसने करवाया था यह सर्वेक्षण?
इस सर्वेक्षण को विश्व प्रकृति निधि-भारत (WWF-भारत) ने किया था, जो देश की प्राकृतिक विरासत और वन्यजीवों की रक्षा के लिए समर्पित संरक्षण संगठन है। अरुणाचल प्रदेश के वन विभाग ने भी इसमें उनका सहयोग किया था। इस खास प्रजाति वाली बिल्ली को 5,000 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था। इसके अलावा भी कई तरह की जंगली बिल्लियों की उपस्थिति के साक्ष्य मिले हैं, जिनमें हिम तेंदुआ, तेंदुआ, धूमिल तेंदुआ और कृष्णाश्मी बिल्ली शामिल हैं।
तरीका
इस सर्वेक्षण के लिए लगाए गए थे 136 कैमरे
यह सर्वेक्षण जुलाई 2024 में शुरू किया गया और इसके नतीजे अब सामने आए। संगठन ने पश्चिमी कामेंग और तवांग जिलों में 2,000 वर्ग किलोमीटर के 83 स्थानों पर 136 कैमरे लगाए थे। WWF-भारत के हिमालय कार्यक्रम के विज्ञान एवं संरक्षण प्रमुख ऋषि कुमार शर्मा ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश में लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर पल्लास बिल्ली की खोज इस बात की याद दिलाती है कि हिमालय में जीवन के बारे में हम अभी भी कितना कम जानते हैं।"
अन्य जानवर
कैमरों में कैद हुईं इन अन्य जानवरों की तस्वीरें
इस सर्वेक्षण के माध्यम से यह भी सामने आया कि तेंदुए जैसे जानवर समुद्र तल से 4,600 मीटर ऊंचाई पर भी रह सकते हैं। 4,650 मीटर पर धूमिल तेंदुए, 4,326 मीटर पर कृष्णाश्मी बिल्ली, 4,194 मीटर पर हिमालयन वुड उल्लू और 4,506 मीटर पर ग्रे-हेडेड फ्लाइंग गिलहरी की तस्वीरें कैमरों में कैद हुईं। सर्वेक्षण में ब्रोक्पा पशुपालक समुदाय और उनके पशुओं की तस्वीरें भी लीं गईं, जो सदियों पुरानी पशुपालन परंपराओं का प्रमाण देती हैं।
पल्लास बिल्ली
पल्लास बिल्ली के बारे में जानें
पल्लास बिल्ली एक छोटी जंगली बिल्ली होती है, जो भारत में बेहद दुर्लभ है। इसके घने बाल, गोल पुतलियां और चपटे कान होते हैं। ये बिल्लियां ठंडे इलाकों में ही रहती हैं और मध्य और पूर्वी एशिया में पाई जाती हैं। पल्लास बिल्लियां छोटे जीवों का शिकार करती हैं, जिन्हें ये पीछा करके या घात लगाकर पकड़ती है। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (IUCN) ने पल्लास बिल्ली को 'सबसे कम चिंताजनक' श्रेणी में रखा है।
जानकारी
इससे पहले हिमाचल प्रदेश में दिखी थी यह बिल्ली
जनवरी के महीने में भी पल्लास बिल्ली को हिमाचल प्रदेश में देखा गया था। किन्नौर क्षेत्र में हुए हिम तेंदुआ सर्वेक्षण के दौरान इस दुर्लभ बिल्ली की तस्वीरें सामने आई थीं। यह पहली बार था जब यह बिल्ली भारत में पाई गई थी।