अमेरिका: जवान दिखने के लिए पिता-बेटे का खून चढ़वाता है व्यक्ति, खर्च करता है करोड़ों रुपये
क्या है खबर?
अमूमन लोग बढ़ती उम्र के प्रभाव को छिपाने के लिए तरह-तरह के त्वचा की देखभाल वाले उत्पादों या कॉस्टमेटिक ट्रीटमेंट्स को आजमाते हैं, लेकिन अमेरिका के 45 वर्षीय ब्रायन जॉनसन खुद को जवान बनाए रखने के लिए ब्लड प्लाज्मा का ट्रीटमेंट लेते हैं।
इस ट्रीटमेंट के लिए ब्रायन हर साल 2 लाख डॉलर (लगभग 16 करोड़ रुपये) खर्च करते हैं, वहीं इसके लिए उन्हें अपने बेटे टैल्मेज और पिता रिचर्ड का खून चाहिए होता है।
आइए पूरा मामला जानते हैं।
प्रक्रिया
इस तरह से प्लाज्मा ट्रीटमेंट लेते हैं ब्रायन
टेक कंपनी के मालिक ब्रायन को ब्लड प्लाज्मा ट्रीटमेंट के लिए एक प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है।
इसके लिए पहले उनके बेटे टैल्मेज का एक लीटर खून निकाला जाता है और एक मशीन के माध्यम से इसे तरल प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स में बांटा जाता है।
इसके बाद उनके पिता रिचर्ड भी इसी प्रक्रिया से गुजरते हैं। इसके बाद एक अतिरिक्त प्रक्रिया होती है, जिसमें ब्रायन में प्लाज्मा को डाला जाता है।
जानकारी
ब्रायन के पास है डॉक्टरों की एक टीम
ब्लूमबर्ग बिजनेसवीक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रायन चिकित्सा निदान और उपचार पर हर साल लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं, जो खाने, सोने और एक्सरसाइज का मिश्रण है।
वह यह देखना चाहते हैं कि क्या वह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं या उलट सकते हैं।
इसके लिए उनके पास डॉक्टरों की एक टीम भी है और वह ब्लूप्रिंट के माध्यम से अपने तरीकों और परिणामों को प्रकाशित करवाते रहते हैं।
उपचार
कई तरह के सप्लीमेंट्स और दवाइयां लेते हैं ब्रायन
मीडिया को इंटरव्यू देते हुए ब्रायन ने कहा, 'मेरा दिल 37 साल के आदमी का और त्वचा 28 साल के शख्स की है, जबकि मेरे फेफड़े और फिटनेस लेवल की बात करें तो ये 18 वर्षीय लड़के के हैं। इन सभी के लिए मुझे खास सप्लीमेंट्स और दवाइयां लेनी पड़ती हैं।'
आपको बता दें कि चुनाडो टैन नामक 50 साल का फोटोग्राफर भी ऐसा कुछ करता था, जिससे वो कभी भी 25 साल से अधिक उम्र का नहीं लगा।
चिकित्सा
पारंपरिक चिकित्सा के दौरान किया जाता है प्लाज्मा इंफ्यूजन का उपयोग
पारंपरिक चिकित्सा में लीवर की बीमारी, जलने और रक्त विकारों सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए प्लाज्मा इंफ्यूजन का उपयोग किया जाता है।
कोरोना वायरस के उपचार के दौरान भी प्लाज्मा का इस्तेमाल किया गया था। इसमें कुछ कोविड रोगियों को उन लोगों का प्लाज्मा चढ़ाया गया, जो बीमारी से ठीक हो चुके थे। इससे उनके सिस्टम में एंटीबॉडी पैदा हुईं। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2021 में इस अभ्यास के खिलाफ सिफारिश की थी।