
व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया गया सुअर का लीवर, 171 दिन रहा जिंदा
क्या है खबर?
ऑर्गन ट्रांसप्लांट यानी अंग प्रत्यारोपण एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है, लेकिन दिक्कत ये है कि डोनर्स बहुत कम हैं और जरूरतमंद बहुत ज्यादा। हालांकि, कुछ महीने पहले चीन के वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग करते हुए पहली बार इंसान में एक सुअर का लीवर ट्रांसप्लांट कर दिया, जिसके बाद वह व्यक्ति 171 दिनों तक जीवित रहा। आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
सबसे पहले 71 वर्षीय व्यक्ति में किया गया था सुअर का लीवर ट्रांसप्लांट
पिछले साल चीन में स्थित अनहुई मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल के पेन मेडिसिन के डॉक्टरों ने जीन-संपादित सुअर के लीवर के साथ पहला सफल प्रयोग किया। उन्होंने एक 71 वर्षीय ब्रेन-डेड मरीज का खून उसके शरीर के बाहर सुअर के लीवर के माध्यम से प्रवाहित किया। उस स्थिति में परीक्षण के 72 घंटों में सुअर के लीवर से कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन सर्जरी के 10 दिन बाद व्यक्ति के परिवार के अनुरोध पर उससे लीवर को हटा दिया गया।
ट्यूमर
व्यक्ति का लीवर में हो गया था ट्यूमर
अनहुई मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल के अध्यक्ष डॉक्टर बेइचेंग सन ने बताया कि हेपेटाइटिस B से संबंधित लीवर सिरोसिस के कारण एक अन्य व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके बाद डॉक्टरी जांच से पता चला कि उसके लीवर के दाहिन लोब में एक बड़ा ट्यूमर भी था, जिसे सिकुड़ने के लिए हुई सर्जरी असफल रही। इसके बाद अस्पताल में लगभग 3 हफ्ते तक रहने के बाद उस व्यक्ति के पेट में तेज दर्द हुआ।
ट्रांसप्लांट
ट्यूमर फटने का खतरा बढ़ने पर डॉक्टरों ने व्यक्ति में लगाया सुअर का लीवर
व्यक्ति की जांच करने पर डॉक्टरों को पता चला कि ट्यूमर फटने का खतरा ज्यादा हो गया है, फिर डॉक्टरों ने परिवार के सदस्यों की जांच की कि क्या वे अपने लीवर ऊतक दान कर सकते हैं, लेकिन कोई भी उपयुक्त नहीं मिला इसलिए जीन-संपादित सुअर के लिवर को ही उस व्यक्ति की जान बचाने का एकमात्र विकल्प माना गया। इसके बाद व्यक्ति के परिवार वाले सुअर का लीवर लगाने पर सहमत हुए।
समय
लीवर ट्रांसप्लांट के बाद 32 दिनों तक एकदम ठीक रहा व्यक्ति
कई जांच के बाद डॉक्टरों ने ट्यूमर को हटा दिया और उस व्यक्ति के लीवर के बचे हुए हिस्से पर सुअर के लीवर का प्रत्यारोपण कर दिया। लीवर प्रत्यारोपण के बाद व्यक्ति कुछ दिन बिल्कुल ठीक रहा, लेकिन 32 दिन बाद उस व्यक्ति में जेनोट्रांसप्लांटेशन-एसोसिएटेड थ्रोम्बोटिक माइक्रोएंजियोपैथी नामक समस्या विकसित हो गई थी, जिसमें खून के थक्के बनकर छोटी रक्त वाहिकाओं और अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
मृत्यु
171 दिन बाद चली गई व्यक्ति की जान
37वें दिन उस व्यक्ति का ब्लड प्रेशर गिर गया और उसकी हृदय गति बढ़ गई, जिसके कारण वह बार-बार बेहोश होता रहा। इसके बाद डॉक्टरों ने 38वें दिन व्यक्ति में से सुअर का लीवर निकाल दिया, जिसके बाद उस व्यक्ति का लीवर अच्छे से काम करने लगा, फिर 135वें दिन उस व्यक्ति के पाचन तंत्र से रक्तस्राव शुरू हो गया और प्रत्यारोपण प्रक्रिया के 171 दिन बाद रक्तस्राव के कारण ही उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई।