शख्स ने चेन्नई की बिरयानी को कोलकाता और लखनऊ से बताया बेहतर, टि्वटर पर छिड़ा विवाद
बिरयानी सिर्फ चावल से बना कोई व्यंजन नहीं है, बल्कि यह लोगों की भावनाओं से भी जुड़ी हुई है। बिरयानी के दीवाने उन लोगों को पसंद नहीं करते हैं, जो उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करे। हाल ही में एक ट्विटर यूजर यूनुस लसानिया ने बिरयानी को लेकर एक 'अलोकप्रिय' राय ट्वीट की, जिसके बाद से ट्विटर पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आइए जानते हैं कि यूनुस ने क्या कुछ लिखा है।
युनूस ने चेन्नई की बिरयानी को कोलकाता और लखनऊ से बताया बेहतर
यूनुस ने चेन्नई की बिरयानी को कोलकाता और लखनऊ की बिरयानी से बेहतर बताया है। अपने ट्विटर पोस्ट में यूनुस ने लिखा, "चेन्नई के डिंडीगुल की बिरयानी बहुत अद्भुत है और यह लखनऊ और कोलकत्ता की बिरयानी से बेहतर है। मेरे पास 'तर्कों की परत' लेकर कोई मत आना। हालांकि, इसके बाद से ही अन्य यूजर्स ने उनको ट्रोल करते हुए अप्रिय प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया।
बिरयानी को लेकर शुरू हुई बड़ी बहस
यूनुस के ट्वीट के बाद एक यूजर ने चेन्नई की बिरयानी के लिए उनकी पसंद की आलोचना करते हुए लिखा, 'एक निश्चित मुहावरा है जो मुझे पसंद है और हर बार इस विषय के आने पर दोहराता हूं कि हैदराबादी बिरयानी, बिरयानी है। बाकी सब पुलाव है।' इस पर यूनुस लसानिया ने जवाब देते हुए लिखा, 'आप जानते हैं, हैदराबादी बिरयानी वास्तव में अजरबैजान में बनने वाले पुलाव या पिलाफ से काफी मिलती-जुलती है।'
'बासमती चावल के बिना कोई भी बिरयानी, बिरयानी नहीं'
एक अन्य यूजर ने लिखा कि बासमती चावल के अलावा किसी भी चावल से बनी 'बिरयानी' को बिरयानी नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'बासमती के अलावा किसी भी चावल से बनी डिश को बिरयानी न कहें। यह एक विनम्र अनुरोध है।' इसके बाद यूनुस ने जवाब में लिखा, 'मुझे लगता है कि यह आसानी से विवादित है, क्योंकि हम यह भी नहीं जानते कि क्या मूल रूप से ऐसा था?'
कुछ यूजर्स ने किया यूनुस का समर्थन
जहां कई लोग यूनुस की पोस्ट के खिलाफ थे, वहीं कुछ ने डिंडीगुल बिरयानी का पक्ष में उनका समर्थन भी किया है। एक यूजर ने लिखा, 'डिंडीगुल बिरयानी की बात यह है कि आप इसे हर समय के खाने में खा सकते हैं। मीट के साथ सीरगा सांबा राइस का फ्लेवर, इस सेगमेंट में अन्य दावेदारों को पछाड़ देता है। मैं लॉकडाउन में इस बिरयानी को लेकर इतना शौकीन था कि इसे हर दूसरे दिन पकाकर खाता था।'
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