
वैज्ञानिकों ने इंसान में लगाकर देखा सूअर का फेफड़ा, 9 दिनों तक ले सका सांस
क्या है खबर?
विज्ञान दिन पर दिन तरक्की करता जा रहा है और वैज्ञानिक हमेशा नए-नए अध्ययन करने में लगे रहते हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों को एक ऐसी उपलब्धि हासिल हुई है, जो लाखों लोगों की जान बचाने में मदद कर सकती है। पहली बार वैज्ञानिक किसी ब्रेन डेड इंसान में सूअर का फेफड़ा लगाने में सफल हुए हैं। इसकी मदद से वह व्यक्ति 9 दिनों तक सांस ले सका था। आइए जानते हैं यह चमत्कार कैसे हो सका था।
विवरण
चीन के अस्पताल में किया गया यह ऑर्गन ट्रांसप्लांट
यह अंग प्रत्यारोपण यानि ऑर्गन ट्रांसप्लांट चीन के गुआंगझोउ मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रथम संबद्ध अस्पताल में किया गया। इसके जरिए पहली बार एक इंसान के अंदर सूअर का फेफड़ा लगाया गया था । इससे पहले इंसानों के शरीर में सूअर का दिल और किड़नी लगाने के प्रयास किए जा चुके हैं। सूअर के फेफड़े को आनुवंशिक रूप से संशोधित यानि जेनेटिकली मोडिफाइ किया गया था, ताकि मानव का शरीर उसे स्वीकार करने से इंकार न कर दे।
मरीज
मस्तिष्क रक्तस्राव से पीड़ित था मरीज
जिस व्यक्ति के शरीर में सूअर का फेफड़ा लगाया गया वह 39 साल के थे। उन्हें मस्तिष्क रक्तस्राव यानि ब्रेन हैमरेज हुआ था, जिसके बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। मरीज के परिवार से सहमति पाने के बाद डॉक्टरों ने उनके शरीर के बाएं फेफड़े को सूअर के फेफड़े से बदला। सर्जरी के बाद मरीज को संक्रमण और किसी भी प्रकार की परेशानी से बचाने के लिए कई दवाइयां भी दी गई थीं।
सर्जरी
सूअर के फेफड़ों ने 9 दिन और 216 घंटे तक किया काम
सर्जरी करने से पहले सूअर के फेफड़े को 6 बार आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया था। जिस सूअर के फेफड़े को निकाला गया था, उसे साफ-सुथरे और बैक्टीरिया रहित वातावरण में पाला गया था। आपको जानकर खुशी होगी कि सूअर के फेफड़े ने 9 दिन और 216 घंटे तक बिना किसी दुष्प्रभाव, संक्रमण या अस्वीकृति के काम किया। हालांकि, प्रत्यारोपण के एक दिन बाद ही रक्त प्रवाह संबंधी समस्याओं के कारण व्यक्ति के शरीर में सूजन आ गई थी।
प्रयोग
इस प्रयोग के विषय में क्या बोले वैज्ञानिक?
कुछ प्रारंभिक सुधार के संकेतों के बावजूद कुछ ही दिनों में मरीज के शरीर ने अंग को अस्वीकार करना शुरू कर दिया। इसके बाद मरीज के परिवार के अनुरोध पर डॉक्टरों ने प्रयोग बंद कर दिया। वैज्ञानिकों ने कहा कि उनके शोध से पता चलता है कि सूअर से मानव फेफड़े में जेनोट्रांसप्लांटेशन संभव है। हालांकि, अंग अस्वीकृति और संक्रमण जैसी बड़ी बाधाएं दूर करने के लिए और अध्ययन करना होगा।