
डॉक्टर दे रहे हैं इंसानी पॉटी से बने कैप्सूल खाने की सलाह, जानिए क्या है कारण
क्या है खबर?
स्वास्थ्य उद्योग ने इतनी तरक्की कर ली है कि आज के समय में ज्यादातर बीमारियों का उपचार है। छोटी से बड़ी बीमारियों को कैप्सूल खा कर ठीक किया जा सकता है।
ये कैप्सूल पेट में जाते ही घुल जाते हैं और असर दिखाना शुरू कर देती हैं। हालांकि, ब्रिटेन के डॉक्टर अब एक ऐसे कैप्सूल खाने की सलाह दे रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर उल्टी आ जाए।
वे मरीजों को पॉटी यानि मल से बने कैप्सूल खिला रहे हैं।
कैप्सूल
इन कैप्सूल में भरी होती है इंसानों की पॉटी
किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन डॉक्टर इंसानों की पॉटी से बनी दवा खाने की सलाह देंगे। हालांकि, ऐसा सच में हो रहा है और ये कैप्सूल असरदार भी साबित हो रहे हैं।
इन कैप्सूल को 'पू-पिल्स' कहा जाता है और कई लोग इन्हें 'क्रैपसुल' नाम से भी जानते हैं।
इनमें दवा की जगह पर इंसानों का मल यानी पॉटी भरी होती है जो सूखी और जमी हुई होती है।
इलाज
कैंसर तक का इलाज करने में सक्षम हैं ये कैप्सूल?
हैरानी की बात है कि जिन कैप्सूल के बारे में सुनकर ही मन खराब हो जाता है, वो असल में कैंसर से लेकर यकृत रोग तक का इलाज करने में सक्षम हैं।
कुछ डॉक्टर तो यहां तक कहते हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति का मल किसी अन्य व्यक्ति में डालने से बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
इन दावों को सच साबित करने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) के शोधकर्ताओं ने अध्ययन भी किया।
अध्ययन
इस तरह किया गया था पू-पिल्स वाला अध्ययन
अध्ययन के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या स्वस्थ लोगों के मल से भरे कैप्सूल रोगियों की आंत में छिपे एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं या नहीं।
इसके लिए दवा-प्रतिरोधी संक्रमण से जूझ रहे लंदन के गाइज और सेंट थॉमस अस्पताल के 41 रोगियों को 2 समूहों में बांटा गया।
एक समूह को 3 दिनों में पू-पिल्स के 3 सेट दिए गए, जबकि दूसरे को प्लेसबो दिया गया।
प्रक्रिया
कैसे बनाई जाती हैं ये पू-पिल्स?
अध्ययन में पाया गया कि पू-पिल्स लेने वालों के पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया बस गए थे। मल से भरे कैप्सूल ने बुरे बैक्टीरिया को सफलतापूर्वक मरीज के शरीर से बाहर निकाल दिया था।
इन पू-पिल्स में भरे मल का पहले अच्छी तरह परीक्षण किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसमें कोई हानिकारक कीटाणु न हो।
परीक्षण के बाद अपचित भोजन को निकाल दिया जाता है और पॉटी को सुखाकर पाउडर बनाकर कैप्सूल में भरा जाता है।
असर
क्या होता है इन कैप्सूल का असर?
शोधकर्ताओं का कहना है कि पू-पिल्स एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के बढ़ते संकट से निपटने में मदद कर सकते हैं।
ये हानिकारक बैक्टीरिया से लड़कर उन्हें नष्ट कर देते हैं या तो उन्हें पूरी तरह से शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
ये कैप्सूल अगर बैक्टीरिया को पूरी तरह खत्म न कर पाएं तो उन्हें इस स्तर तक कम कर देते हैं, जिससे कोई समस्या न पैदा हो।
डॉक्टरों का कहना है कि यह अध्ययन नए उपचारों का रास्ता खोल सकता है।