मृतकों के साथ खाने से लेकर जहरीली मछली खाने तक, दुनियाभर में खाने की विचित्र परंपराएं
किसी भी देश का खान-पान ही वहां के लोगों के रहन-सहन और परंपराओं को दर्शाता है। हर स्थान का अपना खास भोजन और खाने का तरीका होता है, जो उसे बाकी दुनिया से अलग बनाता है। हालांकि, दुनियाभर के कई देशों में खाना खाने से जुड़ी तमाम बेहद विचित्र परंपराएं निभाई जाती हैं। आइए आज ऐसी ही 5 अजब-गजब भोजन परंपराओं के बारे में जानते हैं, जो आपके होश उड़ा देंगी।
चूहों वाली वाइन पीना
लोगों के घर में अगर एक चूहा घुस जाए तो वो डरकर चीखने लगते हैं। हालांकि, कोरिया के लोग इस जीव से बनी वाइन पीते हैं। कोरियाई लोगों का मानना है कि चूहों से बनी वाइन में कई औषधीय गुण होते हैं। इसे केवल चूहों के मरे हुए नवजात बच्चों से ही बनाया जाता है, जिनके शरीर पर बाल नहीं होते हैं। इस वाइन में 12 महीने तक चूहों को रखने के बाद ही इसे पिया जाता है।
मृतकों के साथ भोजन करना
इंडोनेशिया के सुलावेसी क्षेत्र में तोराजा नाम की एक आदिवासी जनजाति रहती है, जो मरने के बाद भी लोगों को अपने साथ रखती है। तोराजाओं का मानना है कि मृतकों की रूह देहांत के बाद भी धरती पर ही रहती है। इसी कारण से तोराजा जनजाति के लोग मृतकों के साथ बैठकर खाना खाते हैं। वे मृतकों के लिए अलग थाली सजाते हैं और उनकी जीवित लोगों जैसा खातिर करते हैं। जानिए दुनिया की सबसे खतरनाक परंपराएं।
जहरीली मछली खाना
वैसे तो पफर मछली को बेहद जहरीला माना जाता है, लेकिन जापान के लोग इसे खाने से नहीं चूकते हैं। इस मछली को खाने के लिए जापानी लोग लाखों रुपये खर्च कर देते हैं और कई जगहों पर इसकी बोली लगती है। इसमें जहरीला टेट्रोडोटॉक्सिन होता है, जिसे पकाने के लिए विशेष तकनीक लगती है। सबसे विचित्र बात यह है कि टेट्रोडोटॉक्सिन का दुनिया में कोई एंटीडोज उपलब्ध है। इसके बावजूद भी जापानी लोग इसे चाव से खाते हैं।
खाने के बाद डकार लेना
आम तौर पर किसी सभा या समारोह में खाते समय डकार लेना शर्मिंदा करने वाला होता है। हालांकि, मिस्र के लोग इसे एक अच्छी आदत मानते हैं। इस देश में खाने के बाद डकार लेने को भोजन शिष्टाचार माना जाता है, जो इस बात को दर्शाता है कि आपको भोजन पसंद आया। अगर आप मिस्र में खाना पकाने वाले व्यक्ति की तारीफ करना चाहते हैं, तो उनके सामने डकार लें।
मशरुम के साथ पेशाब पीना
साइबेरिया के कोर्याक लोग एक चौका देने वाली परंपरा का पालन करते हैं। दरअसल, यहां धार्मिक अनुष्ठान के रूप में हेलुसीनोजेनिक मशरूम को पेशाब के साथ मिलाने का असामान्य रिवाज है। यहां के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें ध्यान लगाने में मदद मिलती है और वे आत्माओं से बात कर पाते हैं। कहा जाता है कि मशरूम को खाकर पेशाब पीने से लोग सामाजिक रूप से सक्रिय हो जाते हैं और खुश रहते हैं।